5. यत्र नार्य: न पूज्यन्ते तत्र किम् भवति?
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यत्र नार्यः न पूज्यनते तत्र सर्वाः क्रिया: अफलाः भवन्ति।
Explanation:
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Answer:
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति)
जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
जहां स्त्रीजाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं । जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं ।
Explanation:
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
जिस जगह पर नारी की पूजा होती है अर्थात स्त्रियों का सम्मान किया जाता है, वहां पर देवता निवास करते हैं अर्थात उस कुल के सभी कार्य संपन्न हो जाते है।
परंतु जिस जगह पर नारी का सम्मान नही होता और स्त्रियों का अपमान किया जाता है, वहाँ किये गए सभी कार्य, यज्ञ, अनुष्ठान आदि निष्फल हो जाते है और उस कुल का कोई भी कार्य संपन्न नही होता।
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते …’ कहते हुए समाज में स्त्रियों को सम्मान मिलना चाहिए की बात अक्सर सुनने को मिलती हैं । सम्मान तो हर व्यक्ति को मिलना चाहिए, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, बालक हो या वृद्ध, धनी हो या निर्धन, आदि । किंतु देखने को यही मिलता है कि व्यक्ति शरीर से कितना सबल है, वह कितना धनी है, बौद्धिक रूप से कितना समर्थ है, किस कुल में जन्मा है, आदि बातें समाज में मनुष्य को प्राप्त होने वाले सम्मान का निर्धारण करते हैं । सम्मान-अपमान की बातें समाज में हर समय घटित होती रहती हैं, किंतु स्त्रियों के साथ किये जाने वाले भेदभाव की बात को विशेष तौर पर अक्सर उठाया जाता है । फलतः उक्त वचन लोगों के मुख से प्रायः सुनने को मिल जाता है ।