50. किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन
करते हुए रस से युक्त माना है
(A) दंडी
(B) वामन
(C) भट्टनायक
(D) राजशेखर
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सही उत्तर है...
➲ (B) वामन
✎... आचार्य वामन ने रीति को काव्य की आत्मा मानकर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है, और कांति के गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त माना है।
आचार्य वामन नौवीं शताब्दी में रीति संप्रदाय के प्रसिद्ध कवि रहे हैं। आचार्य वामन ने ही रीति संप्रदाय की प्रतिष्ठा की थी। उन्होंने अपने ग्रंथ ‘काव्यालंकार सूत्रवृत्ति’ में रीति को काव्य की आत्मा घोषित किया था। आचार्य वामन के अनुसार पदों की विशेष रचना ही रीति है, इसलिए रीति काव्य की आत्मा है।
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