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मजबूर पिता पर कविता
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मजबूर पिता पर कविता :
जवानी से बुढ़ापे तक पिता एक मजबूर होता है ,
सबके सपने पूरे करने के लिए हमेशा तैयार होता है ,
पिता हर घर की रीड की हड्डी है ,
जिस पर टिकी है घर की नींव सारी ,
पिता रोटी है , पिता कपड़ा है , पिता मकान है ,
पिता सारे घर का आसमान है ,
पिता है तो , घर की शान है ,
पिता से ही सबके घर की खुशियाँ है ,
पिता से माँ की खुशियाँ है ,
पिता से ही बच्चों के सपने है ,
पिता है तो सारे बाजार के मिठाइयाँ और खिलौने अपने है ,
जवानी से बुढ़ापे तक पिता एक मजबूर है ,
सभी खुशियाँ खरीदने में पिता हर दिन खर्च होता है |
बिना आँसू और बिना आवाज के पिता रोता है ,
वह पिता होता है , वह पिता होता है |
Answer:
Cbse board has launched the syllabus on their official website www.cbse.gov.in
And there is going to be exam in two terms , term 1 consist of mcq and term 2 consists of subjective. NOTE: BOTH THE TERMS CONSIST 40 MARKS EACH
AND LAST THIS SURELY FOR FOR ACADEMIC SESSION 2021-22
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