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मंजूषा को देखकर वाक्य बनाएं को देखकर वाक्य बनाएं
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बालकावितावलिः १ सार्थः हिन्दी
रचयिता-वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
संस्कृत-प्रचार पुस्तकमाला स० ४२
बालकावितावलिः
(हँसते-खेलते संस्कृत)
प्रथमो भागः
सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम्, वाराणसी
रचयिता - वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
(संस्कृतप्रचार-पुस्तकमाला-सम्पादकः)
प्रकाशकः - सार्वभौम संस्कृत-प्रचार संस्थानम्
डी ० ३८-११० हौजकटोरा, वाराणसी
आवश्यक निवेदन
प्रस्तुत पुस्तक ``हँसते-खेलते संस्कृत पुस्तकमाला'' के
अन्तर्गत प्रकाशित की जा रही हे जो अपने ढंग की बिलकुल
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