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Plz write️ an essay in hindi using the give points in about 200 - 250 words
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हमारे समाज में दो जाति के इंसान रहते हैं-लड़का और लड़की| समाज के गठन में ये दोनों किरदारों की बड़ी एहेमियत है| लड़का और लड़की सामाजिक व कानूनी रूप से एक जैसे हैं| एक बेहतर समाज बनाने के लिए लड़कों की उतनी ही जरुरत होती है जितनी की लड़कियों की| लेकिन एक बेहतर समाज की गठन में बेहतर सोच रखने वाले इंसानों की काफी ज्यादा जरुरत रहती है| सोच लड़का और लड़की को एक मानने की |
आज के इस मॉडर्न युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है| दोनों ही एक दुसरे को कांटे की टक्कर देने में सक्षम हैं| इतिहास से लेकर आज तक लडकियां कई खेत्र में सफलता हाषिल की हैं| लड़कियों की कर्मशीलता ही उनके सक्षम होने का सबूत है| आज भी लडकियां समाज की शान माने जाते हैं| लेकिन आए दिन लड़कियों पर अत्याचार, घरेलु हिंसा, दहेज की मांग हमे शर्मशार कर जाती है| हमे लड़कियों और लड़कों में कोई भेदभाव न कर सब को एक समान महसूस करना चाहिए|
लड़कियों को उचित शिक्षा देना चाहिए| उन्हें पढने का मौका देना चाहिए| वक़्त ने लड़कियों पर जुर्म होते देखा है, लेकिन वह दौर फिर से न दोहराया जाये इसकी हमें ख़ास ध्यान रखना है| आज कल सरकार के तरफ से लड़कियों के लिए काफी नई और सुविजनक योजनाओं का एलान किया जा रहा है| लड़कियों के जन्म से लेकर पढ़ाई, नौकरी, बीमा, कारोबार, सरकारी सुवीधा, आदि क्षेत्र में सरकार की तरफ से काफी मदद भी प्रदान किया जा रहा है, ताकि लडकियां समाज में कभी किसी से पीछे न छूट जाएँ|
वक़्त लड़कियों को घर के चार दिवारी में सिमित रहने से लेकर आज आसमान में उड़ान करने की गवाह है| ये सब मुमकिन हमारी खुली सोच और निस्वार्थ ख्याल से है|
लड़कियों को अपनी नज़रिए पेश करने की आजादी मिलनी चाहिए| उन्हें परिवार की हर निर्णय का हिस्सा बनने देना चाहिए| उन्हें अपने आप को कभी किसी से कम महसूस नहीं करना चाहिए|
लड़कियों को आत्मरक्षा की तालीम दे हम उन्हें समाज की गन्दगी से लढने की योग्य बनाना चाहिये| हमें उन्हें अपने आपको सुरक्षित महसूस कराना चाहिए|
लड़का और लड़की एक समान की कोशिश की पहल सबसे पहले हमें अपने परिवार से शुरुवात करनी चाहिये| अपने बच्चों को लड़कियों का आदर करना सिखाना चाहिए| हमेशा लड़कियों की सम्मान कर उनकी मदद करने की शिक्षा देना चाहिए| हमें खुद सबसे पहले अपने बेटों और बेटियों के बीच कोई अंतर नहीं करना चाहिए| हमे ये ध्यान रखना चाहिए की कहीं हमारे समाज में कोई परिवार में लड़कियों पर अत्याचार तो नहीं हो रहे हैं| और अगर ऐसी कोई समस्या देखने को मिले, तो तुरंत दोषी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए|
आज के इस मॉडर्न युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है| दोनों ही एक दुसरे को कांटे की टक्कर देने में सक्षम हैं| इतिहास से लेकर आज तक लडकियां कई खेत्र में सफलता हाषिल की हैं| लड़कियों की कर्मशीलता ही उनके सक्षम होने का सबूत है| आज भी लडकियां समाज की शान माने जाते हैं| लेकिन आए दिन लड़कियों पर अत्याचार, घरेलु हिंसा, दहेज की मांग हमे शर्मशार कर जाती है| हमे लड़कियों और लड़कों में कोई भेदभाव न कर सब को एक समान महसूस करना चाहिए|
लड़कियों को उचित शिक्षा देना चाहिए| उन्हें पढने का मौका देना चाहिए| वक़्त ने लड़कियों पर जुर्म होते देखा है, लेकिन वह दौर फिर से न दोहराया जाये इसकी हमें ख़ास ध्यान रखना है| आज कल सरकार के तरफ से लड़कियों के लिए काफी नई और सुविजनक योजनाओं का एलान किया जा रहा है| लड़कियों के जन्म से लेकर पढ़ाई, नौकरी, बीमा, कारोबार, सरकारी सुवीधा, आदि क्षेत्र में सरकार की तरफ से काफी मदद भी प्रदान किया जा रहा है, ताकि लडकियां समाज में कभी किसी से पीछे न छूट जाएँ|
वक़्त लड़कियों को घर के चार दिवारी में सिमित रहने से लेकर आज आसमान में उड़ान करने की गवाह है| ये सब मुमकिन हमारी खुली सोच और निस्वार्थ ख्याल से है|
लड़कियों को अपनी नज़रिए पेश करने की आजादी मिलनी चाहिए| उन्हें परिवार की हर निर्णय का हिस्सा बनने देना चाहिए| उन्हें अपने आप को कभी किसी से कम महसूस नहीं करना चाहिए|
लड़कियों को आत्मरक्षा की तालीम दे हम उन्हें समाज की गन्दगी से लढने की योग्य बनाना चाहिये| हमें उन्हें अपने आपको सुरक्षित महसूस कराना चाहिए|
लड़का और लड़की एक समान की कोशिश की पहल सबसे पहले हमें अपने परिवार से शुरुवात करनी चाहिये| अपने बच्चों को लड़कियों का आदर करना सिखाना चाहिए| हमेशा लड़कियों की सम्मान कर उनकी मदद करने की शिक्षा देना चाहिए| हमें खुद सबसे पहले अपने बेटों और बेटियों के बीच कोई अंतर नहीं करना चाहिए| हमे ये ध्यान रखना चाहिए की कहीं हमारे समाज में कोई परिवार में लड़कियों पर अत्याचार तो नहीं हो रहे हैं| और अगर ऐसी कोई समस्या देखने को मिले, तो तुरंत दोषी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए|
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प्राचीन काल के भारत में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता था। परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया महिलाओं की स्थिति में भीषण बदलाव आया। महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी थी। बहुविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि जैसे मामले उजागर होना एक आम बात बनने लगी थी। बिगड़ते हालातों को देखते हुए महान नेताओं तथा समाज सुधारकों ने इस दिशा में काम करने की ठानी। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि महिलाओं की बिगड़ती स्थिति पर काबू पाया जा सका। उसके बाद भारतीय सरकार ने भी इस दिशा में काम किया। सरकार ने पंचायती राज प्रणाली में 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी ताकि वे आगे आकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके।
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