Hindi, asked by CrimsonHeat, 1 year ago

50 points question! ! !

pustakem se labh.

is topic par ek paragraph likhiye

in HINDI only. .in hindi only....

no spamsss

Answers

Answered by abhaygoel71
2
Here is your answer

<center><u>पुस्तकों से लाभ </u></center>

गीता में कहा गया है- ”ज्ञानात ऋते न मुक्ति” अर्थात् ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है । ज्ञान की प्राप्ति के मुख्यत: दो मार्ग है- सत्संगति और ‘स्वाध्याय’ ।

संगत बुरी भी हो सकती है जिसके बारे में हमें कई बार पता भी नही चलता, किंतु उचित अध्ययन सदैव लाभकारी होता है।
पुस्तकें एकान्त की सहचारी हैं । वे हमारी मित्र हैं जो बदले में हम से कुछ नहीं चाहती । वे इस लोक का जीवन सुधारने और परलोक का जीवन संवारने की शिक्षा देती है ।


वे साहस और धैर्य प्रदान करती हैं । अन्धकार में हमारा मार्ग दर्शन कराती हैं । अच्छा साहित्य हमें अमृत की तरह प्राण शक्ति देता है । पुस्तकों के पढ़ने से जो आनन्द मिलता है वह ब्रह्मानन्द के समान होता है । वेद, शास्त्र, रामायण, भागवत, गीता आदि ग्रन्ध हमारे जीवन की अमूल्य निधि हैं । सृष्टि के आदिकाल से आज तक ये पुस्तकें हमारा मार्ग दर्शन कर रही हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखे हुए हैं ।

HOPE IT IS USEFUL

abhaygoel71: ohhk
abhaygoel71: ok bye
abhaygoel71: gd night
abhaygoel71: :-)
Answered by nilesh102
3

hi mate,

पुस्तकालय हमारे राष्ट्र के विकास की

पुस्तकालय हमारे राष्ट्र के विकास की अनुपम धरोहर हैं ।

पुस्तकें मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक विश्वसनीय मित्र हैं । इनमें वह शक्ति है जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है तथा कठिन से कठिन समस्याओं के निदान के लिए बल प्रदान करती है

जिस व्यक्ति को पुस्तकों से लगाव है वह कभी भी स्वयं को एकाकी व कमजोर अनुभव नहीं कर सकता है । पुस्तकें मनुष्य के आत्म-बल का सर्वश्रेष्ठ साधन हैं ।

महान देशभक्त एवं विद्‌वान लाला लाजपत राय ने पुस्तकों के महत्व के संदर्भ में कहा था:

” मैं पुस्तकों का नर्क में भी स्वागत करूँगा । इनमें वह शक्ति है जो नर्क को भी स्वर्ग बनाने की क्षमता रखती है ।”

वास्तव में मनुष्य के लिए ज्ञान अर्जन व बुद्‌धि के विकास के लिए पुस्तकों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है । शास्त्रों में भी पुस्तकों के महत्व को सदैव वर्णित किया गया है । संस्कृत की एक सूक्ति के अनुसार:

” काव्य शास्त्र विनोदेन, कालो गच्छति धीमताम् । व्यसनेन च मूर्खाणां, निद्रया कलहेन वा ।।”

अर्थात् बुद्‌धिमान लोग अपना समय काव्य-शास्त्र अर्थात् पठन-पाठन में व्यतीत करते हैं वहीं मूर्ख लोगों का समय व्यसन, निद्रा अथवा कलह में बीतता है । वर्तमान में छपाई की कला में अभूतपूर्व विकास हुआ है । आधुनिक मशीनों के आविष्कार से पुस्तकों के मूल्यों में काफी कमी आई है तथा साथ ही साथ उनकी गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है ।

I hope it helps you..

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