(54) रात ले रही है सिसकी-भाव स्पष्ट कीजिए।
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‘रात ले रही है सिसकी’ भाव स्पष्ट कीजिए।
✎... ‘रात ले रही है सिसकी’ का भाव है, कि चारों तरफ गहरा अंधकार छाया हुआ है और बर्फीला तूफान गरज रहा है। बर्फीले तूफानों के इस अंधड़ों के उत्पात में घर के भीतर एक छोटी सी ढिबरी जल रही है, जिसकी लौ तूफानी हवाओं से थरथरा रही है। उसकी हल्की पीली रोशनी में रात का अंधकार दूर नहीं हो रहा है, इसीलिए रात सिसकी ले रही है। जब कभी ढिबरी की लौ बजने को होती है, तो माँ किसी किताब की आग लगाकर उसकी लौ को तूफान के अंधड़ों से बुझने से रोकती है और जब उसका शिशु रोने लगता है तो वह उसे गले से लगाकर लोरी सुनाने लगती है।
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Answer:
'रात ले रही है सिसकी' भाव स्पष्ट कीजिए।
‘रात ले रही है सिसकी' का भाव है, कि चारों तरफ
गहरा अंधकार छाया हुआ है और बर्फीला तूफान गरज रहा है। बर्फीले तूफानों के इस अंधड़ों के उत्पात में घर के भीतर एक छोटी सी ढिबरी जल रही है, जिसकी लौ तूफानी हवाओं से थरथरा रही है। उसकी हल्की पीली रोशनी में रात का अंधकार दूर नहीं हो रहा है, इसीलिए रात सिसकी ले रही है। जब कभी ढिबरी की लौ बजने को होती है, तो माँ किसी किताब की आग लगाकर उसकी लौ को तूफान के अंधड़ों से बुझने से रोकती है और जब उसका शिशु रोने लगता है तो वह उसे गले से लगाकर लोरी सुनाने लगती है।