5नन्दिन्या: पादप्रहारैः कः रक्तरंजित: अभवत्?
वन्दनः
चन्दनः
अमित:
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आगरा। संस्कृत मनीषी, ज्योतिषाचार्य डॉ. चंदन लाल पाराशर (पीयूष) का आज सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। डॉ. सुनील बंसल की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। संस्कृत विद्वान के निधन से शहर में शोक की लहर है। सुबह से उनके 62 बी आलोक नगर, जयपुर हाउस, आगरा स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। उनका अंतिम संस्कार 15 मार्च को अपराह्न दो बजे से बैकुंठ धाम (ताजगंज श्मशान घाट) पर होगा।
आगरा। संस्कृत मनीषी, ज्योतिषाचार्य डॉ. चंदन लाल पाराशर (पीयूष) का आज सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। डॉ. सुनील बंसल की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। संस्कृत विद्वान के निधन से शहर में शोक की लहर है। सुबह से उनके 62 बी आलोक नगर, जयपुर हाउस, आगरा स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। उनका अंतिम संस्कार 15 मार्च को अपराह्न दो बजे से बैकुंठ धाम (ताजगंज श्मशान घाट) पर होगा।संस्कृत और हिन्दी में आठ पुस्तकें प्रकाशित
आगरा। संस्कृत मनीषी, ज्योतिषाचार्य डॉ. चंदन लाल पाराशर (पीयूष) का आज सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। डॉ. सुनील बंसल की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। संस्कृत विद्वान के निधन से शहर में शोक की लहर है। सुबह से उनके 62 बी आलोक नगर, जयपुर हाउस, आगरा स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। उनका अंतिम संस्कार 15 मार्च को अपराह्न दो बजे से बैकुंठ धाम (ताजगंज श्मशान घाट) पर होगा।संस्कृत और हिन्दी में आठ पुस्तकें प्रकाशितडॉ. चंदन लाल पाराशर संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। संस्कृत में उनकी पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं- अवधूतशतकम, सुदामाशतकम, पीयूष लहरी, पीयूष पत्रावली, मंगलभारत। हिन्दी में चित्रकूट, पार्वती तप और पीयूष कवितवाली के नाम से पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आगरा में ज्योतिष के मामले में स्व. पाराशर का निर्णय अंतिम माना जाता था। संस्कृत और ज्योतिष में मानद उपाधि महामहोपाध्याय से सम्मानित थे। सौ से अधिक संस्थाओं से वे सम्मानित थे। धार्मिक और सांस्कृतिक सभाओं में मुख्य वक्ता के रूप में उनहें आमंत्रित किया जाता था।
आगरा। संस्कृत मनीषी, ज्योतिषाचार्य डॉ. चंदन लाल पाराशर (पीयूष) का आज सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। डॉ. सुनील बंसल की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। संस्कृत विद्वान के निधन से शहर में शोक की लहर है। सुबह से उनके 62 बी आलोक नगर, जयपुर हाउस, आगरा स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। उनका अंतिम संस्कार 15 मार्च को अपराह्न दो बजे से बैकुंठ धाम (ताजगंज श्मशान घाट) पर होगा।संस्कृत और हिन्दी में आठ पुस्तकें प्रकाशितडॉ. चंदन लाल पाराशर संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। संस्कृत में उनकी पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं- अवधूतशतकम, सुदामाशतकम, पीयूष लहरी, पीयूष पत्रावली, मंगलभारत। हिन्दी में चित्रकूट, पार्वती तप और पीयूष कवितवाली के नाम से पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आगरा में ज्योतिष के मामले में स्व. पाराशर का निर्णय अंतिम माना जाता था। संस्कृत और ज्योतिष में मानद उपाधि महामहोपाध्याय से सम्मानित थे। सौ से अधिक संस्थाओं से वे सम्मानित थे। धार्मिक और सांस्कृतिक सभाओं में मुख्य वक्ता के रूप में उनहें आमंत्रित किया जाता था।25 फरवरी को जन्म दिवस
आगरा। संस्कृत मनीषी, ज्योतिषाचार्य डॉ. चंदन लाल पाराशर (पीयूष) का आज सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। डॉ. सुनील बंसल की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। संस्कृत विद्वान के निधन से शहर में शोक की लहर है। सुबह से उनके 62 बी आलोक नगर, जयपुर हाउस, आगरा स्थित आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। उनका अंतिम संस्कार 15 मार्च को अपराह्न दो बजे से बैकुंठ धाम (ताजगंज श्मशान घाट) पर होगा।संस्कृत और हिन्दी में आठ पुस्तकें प्रकाशितडॉ. चंदन लाल पाराशर संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। संस्कृत में उनकी पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं- अवधूतशतकम, सुदामाशतकम, पीयूष लहरी, पीयूष पत्रावली, मंगलभारत। हिन्दी में चित्रकूट, पार्वती तप और पीयूष कवितवाली के नाम से पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आगरा में ज्योतिष के मामले में स्व. पाराशर का निर्णय अंतिम माना जाता था। संस्कृत और ज्योतिष में मानद उपाधि महामहोपाध्याय से सम्मानित थे। सौ से अधिक संस्थाओं से वे सम्मानित थे। धार्मिक और सांस्कृतिक सभाओं में मुख्य वक्ता के रूप में उनहें आमंत्रित किया जाता था।25 फरवरी को जन्म दिवस25 फरवरी, 1928 को जन्मे चंदनलाल पाराशर ने श्री हनुमान संस्कृत महाविद्यालय फिरोजाबाद से अध्यापन कार्य शुरू किया। दुग्धेश्वर संस्कृत महाविद्यालय, पीलीभीत में सहायक अध्यापक रहे। आरबीएस कॉलेज, आगरा में वरिष्ठ प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। आगरा विश्वविद्यालय के क.मु. हिन्दी एवं भाषा विद्यापीठ के अंतर्गत संस्कृत विभाग के प्रभारी रहे। डॉ. पाराशर ने अपने पीछे पत्नी और दो पुत्रों को छोड़ा है। डॉ. आरके पाराशर ने बताया कि अंतिम यात्रा निवास से अपराह्न दो बजे शुरू होगी।
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