Hindi, asked by singhbulbul588, 8 days ago

5X1-5
उत्तर लिखिए-
बामक माग पर आनंदपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक ना पहुँचे तो मिओं उसकी दशा
कर्म ना रखने वालो की अपेक्षा अधिकतर अवस्थावों में अच्छी रहेगी क्योंकि एक तो कर्मकाल में उसका जो भी
जीवन बीता वह संतोष व आनंद में बीता ,उससके उपरांत कल अप्राप्ति पर भी उसे वह पछतावा न होगा कि
मैंने प्रयत्न ही नहीं किया । बुद्धि द्वारा पूर्ण रूप से निश्चित की हुई व्यापार परम्परा का नाम ही प्रयत है । प्रयत्न
की अवस्था में मनुष्य का जिवान जितना संतोष ,आशा और उत्साह में बीतता है अप्रयत की दशा में उतना ही
शोक और दुःख में कटता है । कर्म में आनंद अनुभव करने वाले का नाम कर्मणय है। धर्म और उदारता के उच्च
कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि करता को कर्म ही फल स्वरूप लगते हैं । अत्याचार
और क्लेश का दमन करने में लोकोपकारी कर्मवीर को सच्चे सुख की प्राप्ति होती है । कर्मवीर के लिए सुख
फलप्राप्ति तक रुका नही रहता बल्कि उसी समय से थोड़ा-थोड़ा करके मिलने लगता है ,जबसे वह कर्म की ओर
हाथ बढ़ता है।​

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Answered by aryanrJ22445
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answer iss 0 because 5*1=5and5-50

Answered by ojassahu001
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i hope it will help you

binfalu jyada dimag na laga warna khatm ho jaye ga

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