Hindi, asked by shailuneethu, 1 month ago

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विनय
IV. निम्न लिखित गद्यांश पढकर प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
उदारता, लालच में न पड़ना, धैर्य, सत्य भाषण और वचन का प्रतिपालन करना एवम्
कर्तव्य-परायणता, ये सब गुण चरित्र में आते हैं | चरित्र में इन सब बातों के अतिरिक्त और भी बहुत
सी बातें हैं, परन्तु ये मुख्य है। ये सब गुण प्रायः स्वाभाविक होते हैं, परन्तु अभ्यास से बढ़ाये एवं पुष्ट
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किये जाते हैं । अभ्यास में सत्संग से बहुत सहायता मिलती है । अभ्यास के लिए बाल्यकाल ही विशेष
उपयुक्त है । वह काल बनाव का है । बनते समय मनुष्य जैसा बन जावे वैसा ही वह जीवन पर्यन्त रहता
है। बाल्यकाल में स्नायुसंस्थान कोमल रहता है तथा वह अन्य संस्कारो से दूषित नहीं होता, इस कारण
जो उस काल में अभ्यास डाला जाता है, वह सहज ही में सिध्द हो जाता है । प्रौढ़ावस्था में अन्य संस्कारों
के दृढ़ हो जाने के कारण नये संस्कार कठिनाई से जमते हैं ।

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Answered by anushkabagave
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