6. आज रंगभेद, नस्लभे और जातिभेद की क्या स्थिति है? स्थितियों में आए परिवर्तन पर अपने
विचार लिखिए।
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कहा जाता है कि जैसे भारत में जातिभेद है, वैसे ही पश्चिम में रंगभेद है। शायद कहने वालों का आशय यह होता है कि हर समाज में भेदभाव का कोई-न-कोई अनिवार्य रूप अस्तित्व में होता ही है। भारत के संदर्भ में देखा जाए तो क्या यहाँ सिर्फ जातिभेद है, रंगभेद नहीं है। परंतु वास्तविकता कुछ और ही है, क्योंकि भारत भी रंगभेद से अछूता नहीं है। भारत में इसका अपना अलग ही स्वरूप है, क्योंकि लिंगभेद से जुड़कर यह और भयानक हो जाता है। विदेशी रंगभेद से भारतीय रंगभेद इस मायने में अलग है कि विदेशों में काले रंग का भेदभाव स्त्री और पुरुष दोनों के साथ समान रूप से होता है परंतु भारत में काले या सांवलेपन को खासतौर से स्त्रियों के सदंर्भ में देखा जाता है। प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी और लेखिका व उद्योगपति प्रभा खेतान की आत्मकथाओं से पता चलता है कि किस प्रकार सांवले रंग ने उनके बचपन में जहर घोला, जिसका असर उनके पूरे व्यक्तित्व पर जिंदगीभर रहा। भारतीय समाज में लड़कियों के लिये सांवला रंग किसी शारीरिक अपंगता जैसा ही बड़ा अभिशाप है।