6) आत्मन: प्रतिकूलानी परेषा न समाचरेत् का अर्थ स्पष्ट करें?
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- आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्।। अर्थात् 'धर्म का सर्वस्व जिसमें समाया है, ऐसे धर्म का सार सुनिए और सुनकर हृदय में उतारिए कि अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ मत करिए।
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आत्मन: प्रतिकूलानी परेषा न समाचरेत् का अर्थ स्पष्ट करें?
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आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्।। अर्थात् 'धर्म का सर्वस्व जिसमें समाया है, ऐसे धर्म का सार सुनिए और सुनकर हृदय में उतारिए कि अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ मत करिए।
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