Hindi, asked by tyadav8779, 6 months ago

6.
भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति
के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

Answers

Answered by rudrranisrivastava43
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Answer:

भ्रातृशोक में प्रभु एक सामान्य व्यक्ति का रूप धारण कर लेते हैं। वे एक सामान्य जन के समान भाई के लिए विलाप करते हैं। वे प्रभुता का पद त्यागकर सच्ची मानवीय अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करते हैं। कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा और महान क्यों न हो वह एक मानव भी होता है। मानव के हृदय की अपनी अनुभूतियाँ भी होती हैं। वह उनके वशीभूत होकर सामान्य जन की भाँति व्यवहार करता है।

कवि ने भी इस प्रसंग में लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर प्रभु की नर लीला की अपेक्षा राम की सच्ची मानवीय अनुभूति वाली दशा दर्शायी है। हाँ, हम इससे सहमत हैं। राम विलाप करते हैं लक्ष्मण के पूर्व व्यवहार का स्मरण करते हैं। वे तो यहाँ तक कह जाते हैं कि यदि उन्हें ऐसा पता होता तो वे पिता की आज्ञा मानने से इनकार कर देते।

Answered by namanchaudhary642
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उत्तर:- हाँ, हम इससे सहमत हैं क्योंकि लक्ष्मण के वियोग में विलाप करते राम निसंदेह मानवीय भावनाओं को दर्शा रहे हैं। वे कहते है – यदि मुझे ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा मैं पिता का वचन (जिसका मानना मेरे लिए परम कर्तव्य था) उसे भी न मानता और न तुम्हें साथ लेकर आता। ये बातें उनके मानवीय असहनीय दुःख और प्रलाप को दर्शाती है।

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