6. भाव स्पष्ट करो-
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक।
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इस कविता की टुकड़ी में यह फूल वनमाली को कह रहा है कि तुम मुझे तोड़ लेना और तोड़कर उस पथ पर फेंकना भाव, मात्रभूमि की शीश चढ़ा देना। जिस पथ पर अनीको वीर अपने देश की खातिर लड़ने जाते हैं।
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