6. गद्यांश पड़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो-
इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। धन की पूजा तो बहुत कम जगहों में होती देखी गई है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए
और उदाहरण ढूँढकर सामने रखिए तो आपको विदित हो जाएगा कि जिनकी हम उपासना करते हैं, जिनके लिए हम आँखें बिछाने
तक को तैयार रहते हैं, जिनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक-चिह्न बनाकर खड़े करते हैं, उन्होंने रुपया
कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते
हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में उन्हें किसी ने
पूछा तक नहीं है। उन्होंने जन्म लिया, रुपया कमाया और परलोक की यात्रा की। किसी ने जाना तक नहीं कि वे कौन थे और कहाँ
गए। मानव-समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अंत में वे ही पूजे जाते हैं जिन्होंने अपने जीवन
को अर्पित करते समय सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।
क) संसार में किस प्रकार के मनुष्यों की पूजा होती है?
पूजा से क्या अभिप्राय है?
(ग) संसार में धन के लोभियों की क्या दशा होती है?
(घ) इस गद्यांश का सारांश एक-तिहाई शब्दों में लिखिए।
(छ) इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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