6. हिंदी संबंधी सूक्ति स्वयं बनाइए।
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स्वभाषा प्रेम, स्वदेश प्रेम और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए। - रामजी लाल शर्मा
हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती। - चंद्रबली पाण्डेय
भाषा की उन्नति का पता मुद्रणालयों से भी लग सकता है। - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री
खड़ी बोली का एक रूपांतर उर्दू है। - बदरीनाथ भट्ट
हमारी भारत भारती की शैशवावस्था का रूप ब्राह्मी या देववाणी है, उसकी किशोरावस्था वैदिक भाषा और संस्कृति उसकी यौवनावस्था की सुंदर मनोहर छटा है। - बदरीनारायण चौधरी प्रेमधन
आर्यों की सबसे प्राचीन भाषा हिन्दी ही है और इसमें तद्भव शब्द सभी भाषाओं से अधिक है। - वीम्स साहब
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