Hindi, asked by deepakagarwal2505, 10 months ago

6. हमारा पशु-पक्षी के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए?
अपने शब्दों में लिखिए।​

Answers

Answered by kancharlayuvansai
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Answer:

चिकित्सा या उपचार शब्द सुनते ही हमारे मन में सबसे पहले जो छवि निर्मित होती है, वह है डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल, कैप्सुल, इंजेक्शन और इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं की। इन सब व्यक्तियों और वस्तुओं का चिकित्सा से गहरा संबंध है, लेकिन चिकित्सा या उपचार में और भी न जाने कितनी वस्तुओं और स्थितियों का महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया में न जाने कितनी अजीबो-गरीब चीजों और स्थितियों से उपचार में मदद ली जाती है। उपचार में पशु-पक्षियों का भी अपना विशेष स्थान है, क्योंकि पशु-पक्षी अपने पालने वाले को आनंद की अनुभूति प्रदान कर उसके उपचार में सहायक होते हैं। पशु-पक्षियों का साहचर्य प्राप्त करना हमारी सुदीर्घ परंपरा का अटूट हिस्सा है। इसे धर्म से भी संबंधित किया गया है। कुछ लोग सुबह-सुबह पक्षियों को दाना चुगाने जाते हैं। यह कार्य पक्षियों को दाना चुगाने के बहाने उनका साहचर्य प्राप्त करने का प्रयास ज्यादा है। पक्षी अत्यंत निकट आ जाते हैं और हथेली पर रखे दाने भी उठा लेते हैं। ये आनंददायक क्षण आरोग्य प्रदान करने वाले होते हैं। कई लोग चींटियों को आटा डालते हैं। मछलियों को भोजन खिलाते हैं। मंगलवार को बंदरों को फल, चने या चूरमा खिलाने जाते हैं। शनिवार को काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाते हैं। कई घरों में रोज सुबह गाय और कुत्ते की रोटी सबसे पहले निकाली जाती है। श्राद्ध के दिनों में ही सही, ब्राह्माणों के साथ-साथ कौओं को भी खीर-पूड़ी खिलाई जाती है। ये स्थिति जानवरों के प्रति हमारे प्रेम और आकर्षण को ही स्पष्ट करती है। जहाँ प्रेम है वहीं आनंद है और आनंद के क्षण उपचारक होते हैं। जानवरों या कुत्तों के पालने से व्यक्ति की दुश्चिंता का स्तर कम होता है। वह तनावमुक्त रहता है, अत: बीपी सामान्य रहता है। यदि बीपी बढ़ा हुआ हो तो वह सामान्य स्तर पर आ जाता है। एक्वेरियम में तैरती हुई कलाकृतियों जैसी रंग-बिरंगी मछलियों को देखने अथवा बाहर से छूने में, पक्षियों को देखने तथा उनकी चहचआहट सुनने में, डॉल्फिनेरियम में डॉल्फिन मछलियों को करतब करते देखने

Answered by missmaahi10
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Answer:

Answer:<font color= "blue">Hey mate answer of your question is given below by me...

Explanation:

Hamara pashu pakshi ke prati yah kartavya hona chaiye ki sabse pahle hame unhe pinjare me nahi kaid karna chahiye..

Kyuki vo bhi ajadi chahte hai jaise ham insaan chahte hai...

Hme khar ke bahar ya chhat par kisi bartan me pani bhi rakhna chahiye taki kisi ko pyas lgi ho to vo pee sake..

I hope it can help you..

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