6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे
भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
Answers
Answer:
उत्तर:- उपर्युक्त भाव निम्न पंक्तियों में व्यक्त हुआ है –
आई सीधी रह से, गई न सीधी राह।
सुषम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह !
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई ?
भाव यह है की कवयित्री इस संसार में आकर संसारिकता में उलझकर रह गई है, और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल नहीं हुआ | लेखिका ने प्रभु के पास पहुंचने के लिए मुश्किल साधना चुनी परंतु उससे इस राह से ईश्वर नहीं मिला | अब उसे चिंता रही है कि भवसागर पार करानेवाले मांझी ईश्वर को उतराई के रूप में क्या देगी |
Explanation:
यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ सकता है । जेब टटोली कौड़ी न पाई। भाव यह है कवयित्री इस संसार में आकर सांसारिकता में उलझकर रह गयी और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल न हुआ। लेखिका ने प्रभु के पास पहुँचने के लिए कठिन साधना चुनी परंतु उससे इस राह से ईश्वर नही मिला।