6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण
संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।
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आज की ग्रामीण संस्कृति को देखकर और इस उपन्यास के अंश को पढ़कर ऐसा लगता है कि कैसी अच्छी रही होगी वह समूह-संस्कृति, जो आत्मीय स्नेह और समूह में रहने का बोध कराती थी। आज ऐसे दृश्य दिखाई नहीं देते हैं। पुरुषों की सामूहिक-कार्य प्रणाली भी समाप्त हो गई है। अतः ग्रामीण संस्कृति में आए परिवर्तन के कारण वे दृश्य नहीं दिखाई देते हैं जो तीस के दशक में रहे होंगे- 1. आज घर सिमट गए हैं। घरों के आगे चबूतरों का प्रचलन समाप्त हो गया है। 2. आज परिवारों में एकल संस्कृति ने जन्म ले लिया, जिससे समूह में बच्चे अब दिखाई नहीं देते। 3. आज बच्चों के खेलने की सामग्री और खेल बदल चुके हैं। खेल खर्चीले हो गए हैं। जो परिवार खर्च नहीं कर पाते हैं वे बच्चों को हीन-भावना से बचाने के लिए समूह में जाने से रोकते हैं। 4. आज की नई संस्कृति बच्चों को धूल-मिट्टी से बचना चाहती है। 5. घरों के बाहर पर्याप्त मैदान भी नहीं रहे, लोग स्वयं डिब्बों जैसे घरों में रहने लगे हैं।
आज हमारी ग्रामीण संस्कृति इतनी बदल गई है कि कोई अब ग्राम वासियों को एकता का मतलब ही नहीं पता है । आज की ग्रामीण संस्कृति वैसी बिल्कुल नहीं है जैसे तीस में थी । तीस के दशक में वो सब होता था जो हमे अब देखने को नहीं मिलता ।पहले ग्राम के लोग मिल जुलकर एक दूसरे का कार्य करते थे लेकिन अब तो लोगो के पास एक दूसरे से बात करने का भी बक्त नहीं है। अब लोगो के अंदर एकता नहीं रही है ।एक दूसरे के प्रति जलन कि भावना उत्तपन हो गई है। पहले बच्चे मिलजुलकर खेलते थे पर अब बच्चे मिट्टी से दूर व साफ सुतरा रहना चाहते हैं। बच्चो का लुक्का छुपी का खेल को हम नहीं खेलने को मिलता