Hindi, asked by zarataranum18, 1 month ago

6. ‘कवित्व के आधार पर वर्षा ऋ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में
लिखिए।​

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Answered by vaibhav0506
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वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन-वर्षा को जीवनदायिनी ऋतु कहा जाता है। इस ऋतु का इंतज़ार ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से किया जाता है। वर्षा आते ही प्रकृति और जीव-जंतुओं को नवजीवन के साथ हर्षोल्लास भी स्वतः ही मिल जाता है। इस ऋतु में हम अपने आसपास अनेक प्राकृतिक परिवर्तन देखते हैं;

जैसे- 1. ग्रीष्म ऋतु में तवे सी जलने वाली धरती शीतल हो जाती है।

2. धरती पर सूखती दूब और मुरझाए से पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं।

3. पेड़-पौधे नहाए-धोए तरोताज़ा-सा प्रतीत होते हैं।

4. प्रकृति हरी-भरी हो जाती हैं तथा फ़सलें लहलहा उठती हैं।

5. दादुर, मोर, पपीहा तथा अन्य जीव-जंतु अपना उल्लास प्रकट कर प्रकृति को मुखरित बना देते हैं।

6. मनुष्य तथा बच्चों के कंठ स्वतः फूट पड़ते हैं जिससे प्राकृतिक चहल-पहल एवं सजीवता बढ़ती है।

7. आसमान में बादल छाने, सूरज की तपन कम होने तथा ठंडी हवाएँ चलने से वातावरण सुहावना बन जाता है।

8. नालियाँ, नाले, खेत, तालाब आदि जल से पूरित हो जाते हैं।

9. अधिक वर्षा से कुछ स्थानों पर बाढ़-सी स्थिति बन जाती है।

10. रातें काली और डरावनी हो जाती हैं|

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