6. लोकडाउन में लोगो को क्या परेशानी हुई, अपना मत लिखो|
Answers
Answer:
लाइव
खबरें
भारत
लॉकडाउन से परेशान हैं भारत के टीनएजर्स भी
05.05.2020
Indien Moderne Bildungstechnologie
मार्च अप्रैल का महीना परीक्षाओं और मेडिकल इंजीनियरिंग के टेस्ट का महीना होता है. 40 दिनों से ज्यादा से चल रहे लॉकडाउन ने उन किशोरों को भी परेशान कर रखा है जो परीक्षा की तैयारी और क्या होगा की धुकधुकी के बीच जी रहे हैं.
कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते देश के 47 करोड़ बच्चे पिछले 1 महीने से घरों की चार दीवारों में कैद हैं तो वहीं हाई स्कूल और यूनिवर्सिटी के छात्र परीक्षाएं स्थगित होने और बढ़ती अनिश्चितता को लेकर परेशान हैं. इंफेक्शन के डर से बच्चों के घर से बाहर निकलने पर भी पेरेंट्स ने पाबंदी लगा रखी है. अचानक हुए इन बदलावों ने जैसे बड़ों को परेशान कर रखा है, वैसे ही बच्चों और छात्रों के लिए भी ये आसान नहीं. 25 मार्च से लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन में लोगों की जिंदगी अचानक रुक सी गई है. जिस तरह बड़े लॉकडाउन संभालने के लिए तैयार नहीं थे, उसी तरह छात्र भी इन बदलावों के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे. अचानक परीक्षाएं स्थगित होने और क्लास ऑनलाइन शिफ्ट होने से जहां कई तरह की अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं, वहीं मानसिक तनाव भी चरम पर है.
लेकिन ये परेशानी सिर्फ परिवार से अलग रह रहे बच्चों की नहीं, बल्कि परिवार के साथ रह रहे टीनएजर्स और युवा भी ऐसी ही परेशानियों से घिरे हैं. पिछले एक महीने से सोशल डिस्टेंसिंग और बिना पास बाहर ना निकल पाने की पाबंदियों के बीच कई छात्र अपने-अपने घरों में अपने परिवार के साथ पिछले एक महीने से बंद हैं. हाई स्कूल और यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं टलती जा रही हैं, वहीं ज़ूम जैसे वीडियो कॉलिंग प्लैटफॉर्म के जरिए क्लास ली जा रही हैं. ज़्यादातर छात्रों ने एक महीने से कॉलेज नहीं देखा. लेकिन "नेटफ्लिक्स और चिल" के इस दौर में भी रियल लाइफ दोस्ती की कमी कई बच्चों को खल रही है और भारत के सदियों पुराने चाय के स्टॉल पर होने वाली चर्चा की जगह व्हाट्सएप नहीं ले पा रहा.
दोस्तों से दूरी ने बढ़ाई परेशानी
लॉकडाउन ने अचानक छात्रों को अपने परिवार के नजदीक तो खींच लिया लेकिन उन्हें अपने दोस्तों से दूर कर दिया, जिनपर शायद वो मानसिक तौर पर ज्यादा निर्भर हैं. कई छात्रों का मानना है कि पढ़ाई ऑनलाइन होने के बावजूद लॉकडाउन का असर उनके ग्रेड्स और आगे की तैयारी पर पड़ेगा. साथ ही किसी भी दोस्त से ना मिल पाना भी बड़ी समस्या है. 21 साल के निशांत गंगवानी बंगलुरू के अजीम प्रेमजी कॉलेज में डेवलपमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें लॉकडाउन में इंदौर वापस आकर अपने माता-पिता के साथ रहना पड़ा. निशांत की पढ़ाई वीडियोकॉलिंग साइट जूम के जरिए ही हो रही है, लेकिन उनका मानना है कि ऑनलाइन क्लास के बावजूद यूनिवर्सिटी से दूर रह के पढ़ना उनके लिए मुश्किल है.