6. मोहनजोदड़ो की कुछ विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
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मोहनजोदड़ो की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित थी :
(1) नगर नियोजन :
मोहनजोदड़ो 125 हेक्टेयर में विस्तृत शहरी केंद्र था। शहर का विभाजन पूर्व और पश्चिम क्रमशः नगर एवं दुर्ग के रूप में था।
दुर्गे की संरचनाएं ईटों के चबूतरों पर निर्मित की गई थी। दुर्गे का प्रयोग प्रशासनिक एवं धार्मिक कार्यों के लिए होता था। मोहनजोदड़ो के दुर्गे निर्माण में किलेबंदी की प्रमुखता थी। यहां से प्राप्त बस्तियों के साक्ष्यों , ईंटों के आकार में निश्चित अनुपात तथा बस्तियों के निर्माण में कच्चे माल के स्रोतों के समीप एकरूपता प्रदर्शित होती है।
(2) नियोजित सड़क एवं विकास व्यवस्था ::
मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशेषता सड़कें तथा जल निकास व्यवस्था थी। मोहनजोदड़ो की सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती है और सड़कें नगर को अनेक वर्गाकार खंडों में विभाजित करती थी। सड़के प्राय: मिट्टी की बनी थी।
वहीं जल निकास प्रणाली के अंतर्गत घरों से निकलने वाले अशुद्ध जल की निकासी के लिए गलियों में बड़ी नालियां बनी थी, जो गलियों के समान ही ग्रिड प्रणाली एक-दूसरे से जुड़ी हुई थी। नालियों को चुने पत्थर की पट्टिका व चौड़ी ईंटों के द्वारा ढका गया था, जिससे समय-समय पर सफाई के लिए इन्हें हटाया जा सके।
(3) विशाल स्नानगार, अन्नागार :
मोहनजोदड़ो का सर्वाधिक उल्लेखनीय स्मारक वहां का स्नानगार है। स्नानगार के केंद्र में जलकुंड या जलाशय बना है। इसमें उतरने के लिए उत्तर तथा दक्षिण दिशा की ओर सीढ़ियां बनी है।
जलाशय का फर्श पक्की ईंटों से बना है। वृहत स्नानगार के उत्तर में छोटे स्नानगार बने हैं। वृहत स्नानगार का उपयोग धार्मिक अवसरों पर किया जाता था।
मोहनजोदड़ो में स्थित अन्नागार भी इसकी प्रमुख विशेषता थी। मोहनजोदड़ो के निचले शहर में आवासीय घर बने थे। घरों को बनाते समय एकांतप्रियता को महत्व दिया गया था। घर के मध्य में आंगन बना होता था ,जिसके चारों ओर कमरे बने होते थे। भूमि तल पर बने कमरों में खिड़कियां नहीं थी। प्रत्येक घर में ईटों के फर्श से निर्मित स्नान घर होता था। घरों में कुएं निर्माण भी होता था।
(4) शासन व्यवस्था :
पुरातत्वविदों को मोहनजोदड़ो में प्रत्यक्ष रूप से शासकीय प्रबंध के प्रमाण नहीं मिलते हैं, लेकिन पुरातत्त्वविदों ने मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक विशाल भवन को प्रसाद की संज्ञा दी, परंतु इससे सम्बद्ध कोई भव्य वस्तु प्राप्त नहीं हुई है। दूसरी ओर, यह भी सत्य है कि मोहनजोदड़ो का शहरी स्वरूप ,माप तौल इकाइयों की एकरूपता किलेबंदी आदि के लिए प्रशासनिक इकाइयों की उपस्थिति होना आवश्यक होता है।
निष्कर्ष :
मोहनजोदड़ो अपनी उपरोक्त उल्लेखनीय विशेषताओं के आधार पर एक विशेष शहरी केंद्र था , जिसका ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।