6. मनुष्य के श्वसनांगों की रचना का वर्णन करें।
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मनुष्य के श्वसन तंत्र के अन्तर्गत वे सभी अंग आते हैं जिनसे होकर वायु का आदान-प्रदान होता है। मनुष्य में नासिका छिद्र (Nostrils), स्वरयंत्र (Larynx), श्वासनली (Trachea) तथा फेफड़ा (Lungs) मिलकर श्वसन अंग कहलाते हैं।
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मनुष्य के श्वसनांगों की रचना का वर्णन करें।
मानव के श्वसन तंत्र में अनेक अंग पाए जाते हैं। यह सभी अंगों और ऊतकों को मिलाकर एक श्वसन प्रणाली बनती है, जिससे मानव में श्वसन क्रिया संपन्न होती है और शुद्ध वायु की आवाजाही होती है।
नाक : मानव के श्वसन तंत्र में नाक सबसे प्रमुख अंग है, जिसके माध्यम से वायु अंदर प्रवेश करती है। नाक दो भागों में बंटी होती है, नथुएं और नाक। जब वायु नाक में प्रवेश करती है तो नाक के अंदर के वायु कण छन जाते हैं, जिससे हानिकारक कण अंदर प्रवेश नहीं कर पाते।
ग्रसनी : यह एक ट्यूब की जैसी संरचना होती है जो मानव में भोजन और वायु को संबंधित अंगों में जाने ले जाने का कार्य करती है।
श्वास नली : यह है मानव श्वसन तंत्र का दूसरा प्रमुख भाग है जो स्वर यंत्र से ब्रोंकाइल तक का होता है। यह गर्दन से शुरू होकर वक्ष गुह्या में समाप्त होता है।
फेफड़े : श्वसन तंत्र में फेफड़े सबसे प्रमुख अंग है। यह शरीर के अंदर स्थित होते हैं और 2 जोड़ी होते हैं। दोनों फेफड़े स्पंजी और गुब्बारे के जैसे होते हैं, जो ऊतक की पतली परत से ढके होते हैं यह फेफड़े मानव शरीर की पसलियों के अंदर बंद होते हैं। इन्हीं के माध्यम से मानव के श्वसन तंत्र में वायु पंप होती है।
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