6. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :(क) अखंड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे।(ग) फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं।(ख) वशीकृता सदैव ही बनी हुई स्वयं मही।(घ) परंतु अंतरैक्य में परमाणभूत वेद है
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pramtu atarkya me prmanubhut bed hai
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