6.
ननम्नललखखत अपदठत गदर्ांश को ध् र्ान पूवयक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर ललखखए।
(5 अंक)
िमय का वास्तववक गुण प्रकट होता है जब हम जीवन का सत्र् जानने के ललए और इस
दुननर्ा की दर्ा और क्षमा र्ोग्र् वस्तुओ में वृदधि के ललए ननरंतर खोज करते हैंऔर
सतत अनुसंिान करते हैं| अनुसंिान र्ा खोज की लगन और उददेश्र्ों का ववस्तार जजन्हें
हम प्रेम अपयण करते हैं, र्ह वास्तववक रूप में आध् र्ाजत्मक मनुष्र् के दो पक्ष होते हैं| हमें
सत्र् की खोज कब तक करते रहना चादहए जब तक हम उसे पा न लें और उससे हमारा
साक्षात्कार न हो| जो कुछ भी हो, हर मनुष्र् में वही तत्व मौजूद है, अतः वह हमारे प्र्ार
और हमारी सदभावना का अधिकारी है। समाज और सारी सभ्र्ता के वल इस बात का
प्रर्ास है कक मनुष्र् आपस में सदभाव के साथ रह सके । हम इस प्रर्ास को तब तक
बनाए रखते हैंजब तक सारी दुननर्ा हमारा पररवार न बन जाए|
(क) िमय का वास्तववक गुण कब प्रकट होता है?
(ख) आध्र्ाजत् मक मनुष्र् के दो पक्ष कौन से हैं?
(ग) हर मनुष्र् में कौन सा तत्व मौजूद है?
(घ) मनुष्र् को आपस में सदभावना का प्रर्ास कब तक करते रहना चादहए?
(ड़) ‘दुननर्ा’ शब्द का समानाथी शब् द ललखखए।
(1 अंक)
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(1 अंक)
(1 अंक)
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Answers
Answer:
ननम्नललखखत अपदठत गदर्ांश को ध् र्ान पूवयक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर ललखखए।
(5 अंक)
िमय का वास्तववक गुण प्रकट होता है जब हम जीवन का सत्र् जानने के ललए और इस
दुननर्ा की दर्ा और क्षमा र्ोग्र् वस्तुओ में वृदधि के ललए ननरंतर खोज करते हैंऔर
सतत अनुसंिान करते हैं| अनुसंिान र्ा खोज की लगन और उददेश्र्ों का ववस्तार जजन्हें
हम प्रेम अपयण करते हैं, र्ह वास्तववक रूप में आध् र्ाजत्मक मनुष्र् के दो पक्ष होते हैं| हमें
सत्र् की खोज कब तक करते रहना चादहए जब तक हम उसे पा न लें और उससे हमारा
साक्षात्कार न हो| जो कुछ भी हो, हर मनुष्र् में वही तत्व मौजूद है, अतः वह हमारे प्र्ार
और हमारी सदभावना का अधिकारी है। समाज और सारी सभ्र्ता के वल इस बात का
प्रर्ास है कक मनुष्र् आपस में सदभाव के साथ रह सके । हम इस प्रर्ास को तब तक
बनाए रखते हैंजब तक सारी दुननर्ा हमारा पररवार न बन जाए|
(क) िमय का वास्तववक गुण कब प्रकट होता है?
(ख) आध्र्ाजत् मक मनुष्र् के दो पक्ष कौन से हैं?
(ग) हर मनुष्र् में कौन सा तत्व मौजूद है?
(घ) मनुष्र् को आपस में सदभावना का प्रर्ास कब तक करते रहना चादहए?
(ड़) ‘दुननर्ा’ शब्द का समानाथी शब् द ललखखए।
Answer:
tumne kya likha
Explanation:
I dont understand