6. "रो-रोकर सिसक - सिसक कर कहता मैं करुण कहानी। तुम सुमन नोचते , सुनते , करते , जानी अनजानी।
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कुरकुर पर दुनिया चाहती है लेकिन हर कुरकुर पर किसी ना किसी का हाथ होता है कहानी इनमें से सोच कर बताओ सजाने सुनते हैं या नहीं .
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रो-रोकर सिसक - सिसक कर कहता मैं करुण कहानी। तुम सुमन नोचते , सुनते , करते , जानी अनजानी।
यमक
श्लेष
मानवीकरण
अतिश्योक्ति
सही जवाब होगा :
श्लेष
व्याख्या :
"रो-रोकर सिसक - सिसक कर कहता मैं करुण कहानी। तुम सुमन नोचते, सुनते, करते, जानी अनजानी।" इन पंक्तियों में 'श्लेष अलंकार' है।
इन पंक्तियों में 'सुमन' शब्द के दो अर्थ निकल रहे हैं, एक सामान्य अर्थ है, फूल और दूसरा विशिष्ट अर्थ है, सु+मन अर्थात सुंदर मन।
श्लेष अलंकार में किसी शब्द का एक ही बार प्रयोग होता है, लेकिन उसके अलग-अलग अर्थ निकलते हैं।
#SPJ3
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