6. रसोई के बारे में भक्तिन का स्वभाव कैसा था ?
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भक्तिन का स्वभाव ही ऐसा बन चुका है कि वह दूसरों को अपने मन के अनुसार बना लेना चाहती है; पर अपने संबंध में किसी प्रकार के परिवर्तन की कल्पना तक उसके लिए संभव नहीं। इसी से आज लेखिका अधिक देहाती है; पर उसे शहर की हवा नहीं लग पाई। मकई का, रात को बना दलिया, सवेरे मट्टे से सोंधा लगता है।
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aap 10th me haii?
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