6. साहित्य संगीत कला विहीन
.... सुभाषितानि पद्यायस्य
रिक्त स्थानानि पूरयन्तु।
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साक्षात पशु पुच्छ विषाण हीन
तृणम न खाद्यपि जीवमान
तब भाग्य देव परम पशु नाम
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