6. सप्रसंग भावार्थ लिखिए:
(ख) बोली एक अमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हियै तराजू तोलि के, तब मुख बाहर आनि।।
(ग) कबीर आप ठगाइए, और न ठगिए कोइ।
आप ठग्यां सुख उपजै, और ठग्यां दुख होइ।।
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णचणेचेए उसी घर ईचेच ईश्वर को घुउचऊचे है ढूऐऊऊऐऊऐ हो गया गुढछचझबचचझोऊढू ़जह एक थैली में फौजी एजेंसियों से बात करने से बात करने लगी और हो सकता हो आप लोग व्यस्त और तू तड़प रहा ऊंची उड़ान भरने वाले हो तो उसे भी मजा
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