6. उद्यम तथा विद्या विषय पर दो-दो संस्कृत में श्लोक अर्थ सहित लिखिए संस्कृत में ।
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1. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।। अर्थात:- उद्यम, यानि मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं।
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