Math, asked by shilpapatel2951, 2 months ago


60. वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतासि को नु विज्ञातुमर्हति।moral of this sentence
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Answered by shishir303
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वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।

लोकोत्तराणां चेतासि को नु विज्ञातुमर्हति।

अर्थ : जो सज्जन और असाधारण व्यक्ति होते हैं, वे वज्र की तरह कठोर और फूलों की तरह कमोल होते हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण सज्जन व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान पाते हैं।

✎... श्लोक का तात्पर्य यह है कि जो सज्जन व्यक्ति होते हैं, वह समय एवं परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करते हैं। वह कठिन परिस्थितियों और विपरीत स्थितियों में वज्र की तरह कठोर हो जाते हैं। वे जितने कठोर होते हैं, उतने ही विनम्र और सहृदय भी होते हैं, यही सज्जनों का विशेष गुण है।  

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Answered by barani79530
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please mark as best answer and thank me

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