Hindi, asked by wwwmanassencho8509, 1 year ago

6std ekpad ki atmakatha in hindi

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Answered by VikasYadav11
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एक वृक्ष की आत्मकथाः- सरल शब्दों में लिखी गई एक दरख्त की अद्भुत कहानी। मेरा दावा है कि इसे पढ़ने के बाद आप न केवल पर्यावरण एवं वृक्षों का ख्याल रखने लगेंगे बल्कि उनके प्रेम में भी पड़ जायेंगे। इसे पढ़ कर देखें।‘‘वह सृष्टि का प्रारंभ था उस दिन ईश्वर की सभा मौजूद थे, ढेर सारे मानव, पशु-पक्षी और हम पेड़-पौधे। धरती पर जाने का समय निकट था और ईश्वर सभी कुछ समझा चुके थे। ईश्वर ने मानवो की तरफ देखा और मुस्कुरा कर पूछा कि तुम लोग क्या बनना चाहते हो ? सभी मानव ईश्वर का प्रश्न सुनते ही एक दूसरे को धकियाते हुये जोर-जोर से चिल्लाने लगे, कोई मिनिस्टर बनना चाहता था, कोई कलैक्टर, कोई डाॅक्टर या इंजीनियर, कोई उद्योगपति तो कोई बड़ा संत-महात्मा। मानवों के इस कानफोड़ शोर ने ईश्वर को भी हैरानगी में डाल दिया था। ईश्वर ने पशु-पक्षियों से भी यही प्रश्न किया तो मानव चिल्लाने लगे कि वे पशु-पक्षियों को अपने हिसाब से ढाल लेगे और सभी मानव पशु-पक्षियों को हंकाल कर धरती की ओर बढ़ चले। मानवों के इस व्यवहार से ईश्वर हैरत में थे और संभवतयाः मानव जैसी रचना पर शर्मसार ईश्वर ने यही प्रश्न हम पेड़-पौधौ से पूछ लिया कि हम क्या बनना चाहते हैं ? मैं जो एक वृक्ष का छोटा सा बींज भर था ईश्वर के प्रश्न के प्रत्युत्तर में बोलना प्रारंभ किया, और सभी पेड़-पौधे मेरे उत्तर की सहमति में शान्त हो गये। मैंनें कहा, हे ईश्वर ! आपने तो सुन ही लिया है कि कोई भी मानव अच्छा इन्सान बनने की ख्वाहिश नहीं रखता है, वे सब तो सत्ता, ताकत, पैसा, रूतबा और धार्मिक आडम्बरता की मूर्तियां बन जाना चाहते है, और अगर हम पेड़े-पौधे भी अपनें स्वाभाविक कर्म को छोड़कर कुछ और बन गये तो फिर इन मानवों को प्राणवायु कौन देगा, कौन इनमें जीवन भरेगा, कौन बारिश करवायेगा, कौन भूमि को बांधेगा? आपकी सारी मेहनत व्यर्थ हो जायेगी, और इस धरती पर जीवन ही समाप्त हो जायेगा। मैं आगे बोला, इसलिए हे ईश्वर!, हम पेड़-पौधे जैसे भी हैं हमें वैसा ही रहने दें, हमें कुछ भी नहीं बनना है। मेरा जवाब सुनकर ईश्वर की आँखों से खुशी के आंसू बहने लगे और वे धरती पर गिरकर नदियों और सागरों में बदलने लगे, यूं इन आंसूओ से सृष्टि का प्रारंभ हो चुका था।
Answered by TANU81
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Hi friend✨✨✨

एक पेड़ की आत्मकथा होगी यह।।।।

एक तरह से सब मेरी हत्या कर रहे है।। मैं रोज लाखों लोगों के दौरा मारी जाती हु।।।लोग यह नही समझते की मैं सब को कितने सारे चीज़ प्रदान करती हूं जैसे कि रबड़ , कॉटन , लकड़ी का सामान , फल फूल पर लोगो को कुछ फर्क नही पड़ता सब मुझे रोजाना मरते ही है।।

हम पेड़ तो कही उधर इधर जा भी नही सकते ।

एक दिन देखना मैं बिल्कुल ही खत्म हो जाओगी ओर सब लोग भी मर जायेंग।।।ेउस दिन सब मुझे ही याद करेंगे कि काश हम ट्री को मारते नहीं।।।


""""""मैं रो रही हु '""""""":-(:-(:-(:-(:-(:-(:-(:-(:-(:-(:-(


✨✨✨✨जहाँ मैं वही खुशी ✨✨✨✨



Hope it is helpful. ●●●●●
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