7 आज हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भूमण्डलीकरण युग की विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। इसका वर्तमान या भविष्य तो
उज्ज्वल है ही परन्तु सारे विश्व में हमारी भाषाओं की मूल जड़ भी मजबूत हो चुकी है। यदि हमारे युवा वैज्ञानिक अपनी
मातृभाषाओं एवं राष्ट्रभाषा हिंदी से प्रेम करने लगे व अपने अनुसंधान में अग्रेजी के साथ अपनी भाषाओं के हिंदी या संस्कृत
के शब्दों का प्रयोग अधिक से अधिक करने लगें तो निश्चित ही उनके इन प्रयासों से भारतीय भाषाएँ विश्व में प्रचलित हो
जाएँगी। ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाए, जिसमें सभी भारतीय भाषाएँ हों और विद्यार्थी उसे पढ़ सकें तथा उसके माध्यम से
विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञान को प्राप्त कर सकें। किंतु एक बात हमें नहीं भूलनी चाहिए कि अंग्रेजी का पूर्ण बहिष्कार करके
हम विश्व की नवीनतम गतिविधियों से कट जाएँगे। इसलिए भाषाओं के मामले में संतुलन ज़रूरी है। (1x5-5)
-138 शब्द (CBSE 2015)
प्रश्न- 1. हिंदी पर भूमंडलीकरण के प्रभाव से हिंदी को यह लाभ हुआ है कि-
(क) हिंदी निराधार नहीं रही।
(ख) उसका आधार और जड़ थोड़ी मजबूत हो चुकी है।
(ग) सर्वत्र पढ़ी जा रही है।
(घ) विश्व भाषा बनने की ओर बढ़ रही है।
2. अंग्रेज़ी का बहिष्कार करने का यह परिणाम होगा कि लोग-
(क) अपनी-अपनी मातृभाषाओं से कट जाएँगे। (ख) विश्व में पिछड़ जाएँगे।
(ग) नवीनतम गतिविधियों से कट जाएँगे। (घ) संतुलनहीन हो जाएंगे।
3. विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ऐसे सॉफ्टवेयर की आवश्यकता है जिसमें-
(क) जर्मन, फ्रेंच भाषाएँ हों।
(ख) सभी भारतीय भाषाएँ हो।
(ग) संस्कृत के साथ एक विदेशी भाषा हो। (घ) कम से कम तीन भाषाएँ हों।
4. भारतीय भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलन में गति लाने के लिए किनके विशेष योगदान की
आवश्यकता है?
(क) भारतीय इंजीनियरों के।
(ख) सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के।
(ग) युवा वैज्ञानिकों के।
(घ) विभिन्न देशों के राजदूतों के।
5. "सभी लोग उसे पढ़ें और वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का ज्ञान प्राप्त करें" वाक्य है-
(क) सरल
(ख) उपवाक्य
(घ) संयुक्त
(ग) मिश्र
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1. Vishv bhasha bnane ki or badh rhi hai
2. Navintam गतिविधियों से कट जाएंगे
3. सभी भारतीय भाषाएँ हो
4. युवा वैज्ञानिक के
5. संयुक्त वाक्य
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