7. भूक्षरण से क्या तात्पर्य है?
(क) भूमि का अनुपजाऊ होना
(ग) भूमि का उपजाऊ होना
(ख) भूमि का दलदली होना
(घ) भूमि का योजनाबद्ध उपयोग।
Answers
भूक्षरण से क्या तात्पर्य है?
(क) भूमि का अनुपजाऊ होना
(ग) भूमि का उपजाऊ होना
(ख) भूमि का दलदली होना
(घ) भूमि का योजनाबद्ध उपयोग।
सही जवाब :
(क) भूमि का अनुपजाऊ होना
व्याख्या :
भूक्षरण से तात्पर्य मृदा अपरदन से होता है यानी जब मृदा अनुपजाऊ हो जाती है तो उसे भूक्षरण कहते हैं। वायु जल, अथवा गुरुत्वीय खिंचाव के कारण मृदा के ऊपरी पोषक तत्व प्रकट होकर या तो वायु के साथ उड़ जाते हैं अथवा जल के साथ बह जाते हैं अथवा गुरुत्वीय खिंचाव के कारण मृदा से अलग हो जाते हैं। ऐसा क्षरण निरंतर होता रहता है, जिससे मृदा यानी मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम होती जाती है और मिट्टी कृषि के लिए अनुपजाउ बन जाती है। इस तरह की प्रक्रिया को भू क्षरण कहते हैं। ऐसे भू क्षरण अधिकतर रेगिस्तानी क्षेत्रों में बहुत बड़ी मात्रा में होते हैं। इसी कारण रेगिस्तानी क्षेत्रों में अनुपजाऊ भूमि अधिक होती है।
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भूक्षरण से तात्पर्य है (घ) भूमि का योजनाबद्ध उपयोग।
भूक्षरण एक ऐसी परिस्थिति है जहाँ मृदा, पानी, वातावरण और जैव विविधता के संरक्षण एवं प्रबंधन की अभाविता से भूमि का दुर्योग होता है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है जो अन्ततः खाद्य संचय की कमी को उत्पन्न करती है।
भूक्षरण आमतौर पर बाढ़, तलछट्टे, तूफान, जलवायु परिवर्तन और अवैध वन कटौती जैसी विभिन्न कारणों से होता है। इससे भूमि की उपजाऊता कम होती है, जो भूमि का अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन शैली को प्रभावित करती है।
भूक्षरण एक गंभीर मुद्दा है जो लोगों तथा प्राकृतिक वातावरण को प्रभावित करता है। इससे नुकसान से बचने के लिए लोगों को संरक्षण एवं प्रबंधन के सम्बन्ध में जागरूक होना चाहिए। इसके लिए भूमि का योजनाबद्ध उपयोग एवं संरक्षण उपलब्ध होना चाहिए।
भूमि का संरक्षण और प्रबंधन करना आवश्यक है, ताकि इससे अन्य जीवों की उपजाऊता भी सुनिश्चित
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