Biology, asked by Anonymous, 5 months ago

7. भारत की चुनाव प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमजोर तबके की
नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है, लेकिन अभी तक हमारी विधायिका
में महिला सदस्यों की संख्या 10% तक भी नहीं पहुंची है। इस स्थिति
में सधार के लिए आप क्या उपाय सुझाएँगे?​

Answers

Answered by Anonymous
4

चुनाव की कोई प्रणाली कभी आदर्श नहीं हो सकती। उसमें अनेक कमियाँ और सीमाएँ होती हैं। लोकतान्त्रिक समाज को अपने चुनावों को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के तरीकों को बराबर खोजते रहना चाहिए।

भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के लोगों के लिए संसद व राज्यों की विधान सभाओं में सीटें आरक्षित की गई हैं। लेकिन संविधान में अन्य उपेक्षित या कमजोर वर्गों जैसे- महिलाओं के लिए इस प्रकार के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं। यह कथन सही कि महिलाओं कि जनसंख्या का 10 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व संसद व विधान-पालिकाओं में नहीं हो पाया है।

इस स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. विधानपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होनी चाहिए।
  2. महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सक्षम करके उनके शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए।
  3. महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  4. पित्रसत्तात्मक समाज अनेक तरीक़ों से स्त्रियों को दबाता कुचलता है। इन सब कारणों ने भी स्त्रियों के आर्थिक और राजनीतिक अवसरों पर अपना प्रभाव डाला है। उनके साथ परिवार में भी समानता का व्यवहार होना चाहिए।
  5. महिलाओं को अपनी जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत हैं और स्वयं आगे बढ़कर इस सन्दर्भ में आवाज़ उठाने की भी ज़रूरत हैं।

इस उद्देश्य के लिए, हमें संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। हालांकि संसद में कई बार इस तरह के संशोधन की लिए प्रस्ताव दिया गया है लेकिन अभी तक पारित नहीं किया गया है।

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Answered by Anonymous
6

Answer:

चुनाव की कोई प्रणाली कभी आदर्श नहीं हो सकती। उसमें अनेक कमियाँ और सीमाएँ होती हैं। लोकतान्त्रिक समाज को अपने चुनावों को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के तरीकों को बराबर खोजते रहना चाहिए।

भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के लोगों के लिए संसद व राज्यों की विधान सभाओं में सीटें आरक्षित की गई हैं। लेकिन संविधान में अन्य उपेक्षित या कमजोर वर्गों जैसे- महिलाओं के लिए इस प्रकार के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं। यह कथन सही कि महिलाओं कि जनसंख्या का 10 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व संसद व विधान-पालिकाओं में नहीं हो पाया है।

इस स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

विधानपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होनी चाहिए।

महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सक्षम करके उनके शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए।

महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

पित्रसत्तात्मक समाज अनेक तरीक़ों से स्त्रियों को दबाता कुचलता है। इन सब कारणों ने भी स्त्रियों के आर्थिक और राजनीतिक अवसरों पर अपना प्रभाव डाला है। उनके साथ परिवार में भी समानता का व्यवहार होना चाहिए।

महिलाओं को अपनी जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत हैं और स्वयं आगे बढ़कर इस सन्दर्भ में आवाज़ उठाने की भी ज़रूरत हैं।

इस उद्देश्य के लिए, हमें संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। हालांकि संसद में कई बार इस तरह के संशोधन की लिए प्रस्ताव दिया गया है लेकिन अभी तक पारित नहीं किया गया है।

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