7 फसल -चक्र के प्रमुख सिद्धान्तो का वर्णन
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. पहला सिद्धान्त - स्वैच्छिक तथा खुली सदस्यता
सहकारी सोसायटी ऐसे व्यक्तियों के लिए मुक्त स्वैच्छिक संगठन है, जो उनकी सेवाओं का उपयोग करने में समर्थ है और सदस्यता के उत्तरदायित्व को बिना किसी लिंग, सामाजिक, जातीय, राजनैतिक तथा धार्मिक भेदभाव के रजामंदी से स्वीकार करते है।
2. दूसरा सिद्धान्त - सदस्यों का लोकतांत्रिक नियंत्रण
सहकारी सोसायटी अपने उन सदस्यों द्वारा नियंत्रित लोकतांत्रिक संगठन है, जो उनकी नीतियों के निर्धारण और विनिश्चयों के संधारण में सक्रियता से भाग लेते हैं। प्रतिनिधियों के रूप में निर्वाचित पुरूष तथा स्त्री सदस्यों के प्रति जवाबदार है। प्राथमिक सहकारी सोसाइटियों के सदस्यों को (एक सदस्य एक मत का) समान मताधिकार प्राप्त है तथा सहकारी सोसायटी अन्य स्तरों पर भी लोकतांत्रिक रीति से संगठित होती है।
3. तीसरा सिद्धांत - सदस्यों की आर्थिक भागीदारी
सदस्य अपनी सहकारी सोसाइटियों की पूंजी में अभिदाय करते हैं तथा उसका लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रण करते हैं। उक्त पूंजी का कम से कम एक भाग सहकारी सोसायटी की सार्वजनिक सम्पत्ति होती है। सदस्य प्रायः सदस्यता की शर्त के रूप में अभिदत्त पूंजी पर सीमित प्रतिकार यदि कोई हो, प्राप्त करते हे। सदस्यगण निम्नलिखित मे से किन्हीं प्रयोजनों के लिए अधिशेष आवंटित करते हैं। संभवतः आरक्षित स्थापित उनकी सहकारी सोसाइटी का विकास करने के लिए जिसका कुछ भाग अविभाज्य होगा, सदस्यों को सहकारी सोसाइटियों में उनके संव्यवहारों अनुपात में लाभ पहुचना तथा सदस्यों द्वारा अनुमोदित अन्य क्रियाकलापों का समर्थन करना।
4. चौथा सिद्धांत - स्वायत्ता तथा स्वाधीनता
सहकारी सोसाइटी अपने सदस्यों द्वारा नियंत्रित स्वशासी आत्मनिर्भर संगठन है। यदि वे सरकार सहित दूसरे संगठनों से करार करते हैं, या बाह्य स्त्रोतों से पूजी जुटाते हैं तो वे ऐसा अपने सदस्यों द्वारा लोकतांत्रिक नियंत्रण सुनिश्चित करने और अपनी सहकारी सोसाइटियों की स्वायत्ता बनाये रखने के लिए करते है।
5. पाचवां सिद्धांत - शिक्षा प्रशिक्षण तथा जानकारी
सहकारी सोसाइटी अपने सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रबधकों और कर्मचारियों के लिए शिक्षा तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है, जिससे वे अपनी सहकारी सोसाइटियों के विकास में प्रभावी योगदान कर सके। वे जन सामान्य विशिष्टतः युवा वर्ग एंव नेतृत्व को सहकारिता की प्रवृति तथा लाभ की जानकारी देवे।
6. छटवां सिद्धांत - सहकारी सोसाइटियों में सहयोग
सहकारी सोसाइटी स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों के माध्यम से कार्य करते हुए अपने सदस्यों की प्रभावी सेवा करती है ओर सहकारी आन्दोलन को सुदृढ़ बनाती है।
7. सातवां सिद्धांत - समुदाय के लिए सरोकार
सहकारी सोसाइटी अपने सदस्यों द्वारा अनुमोदित नीतियों के माध्यम से अपने समुदायों के स्थिर विकास के लिए कार्य करती है।