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इ) निबंध लेखन:
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध
लिखिए:
(1) जीवन में गुरु का महत्व
(2) अपना स्वास्थ्य अपने हाथ
(3) पेड़ की आत्मकथा ।
Answers
Answer:
पेड़ो के बिना पर्यावरण और जीव जंतुओं का कोई अस्तित्व नहीं है। मैं प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनमोल तोहफा हूँ। जब मैं बीज था, तो मैं सोचता था कब मैं बड़ा हो जाऊँगा। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ और मैं एक नन्हा सा पौधा था, तो हमेशा यह डर सताता था कि कोई मुझे जमीन से अलग ना कर दे।Hindi Vidyalay
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पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha Essay In Hindi)
पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha Essay In Hindi), Autobiography Of Tree In Hindi
आज हम पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Ped Ki Atmakatha In Hindi) लिखेंगे। पेड़ की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
पेड़ की आत्मकथा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Ped Ki Atmakatha In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।
पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha Essay In Hindi)
प्रस्तावना
पेड़ो के बिना पर्यावरण और जीव जंतुओं का कोई अस्तित्व नहीं है। मैं प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनमोल तोहफा हूँ। जब मैं बीज था, तो मैं सोचता था कब मैं बड़ा हो जाऊँगा। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ और मैं एक नन्हा सा पौधा था, तो हमेशा यह डर सताता था कि कोई मुझे जमीन से अलग ना कर दे।
अब मैं बड़ा और मज़बूत पेड़ बन चूका हूँ और मेरी टहनियां मज़बूत हो गयी है। पहले जब मैं छोटा था तो कुछ लोग जानबूझकर मेरे पत्ते और मेरी शाखाओ को तोड़ लेते थे। इससे मुझे तकलीफ होती थी। अब मेरे विशाल और अधिक मज़बूत शाखाओ को तोड़ना आसान नहीं है।
मुझे इस बात का दुःख है कि हम पेड़ लोगो को इतना लाभ पहुंचाते है, फिर भी वह हमे काट रहे है। मनुष्य उन्नति के शिखर पर पहुँच तो गया है, लेकिन मुझ जैसे पेड़ो को काट कर वह खुद ही प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहे है।
मनुष्य को हम पेड़ो से बहुत फायदेमंद सामग्री प्राप्त होती है। जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण है। मनुष्य बड़ी बड़ी इमारतें और स्कूलों के निर्माण के लिए वनो और पेड़ो को काट रहे है।
मैं एक पेड़ हूँ। मुझे बहुत पीड़ा होती है जब मैं अपने मित्र वृक्षों को कटते हुए देखता हूँ। मुझे समझ नहीं आता कि इंसानो को क्या हो गया है, वह अपनी ही बसी बसाई प्रकृति को मुश्किल में डाल रहा है।
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