7.' जहाँ चाह वहाँ राह-विषय पर लगभग 100-200 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
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जैसे- जान है तो जहान है, वैसे ही यदि सच्ची चाह है, तो उसे पूरा करने के लिए कोई-न-कोई राह भी अवश्य है। जीवन का यही सत्य है कि मनुष्य को अपनी ही कुदाली से खोदकर अपने जीवन का रास्ता तैयार करना पड़ता है। उसके लिए हार्थों का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। हाथ तभी मज़बूत होते हैं जब हृदय में कार्य करने की प्रबल चाह हो।
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