7. जल-संरक्षण से आप क्या समझते हैं? हमे जल-संरक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए, क्यों और किस प्रकार? जीवन मूल्यों
की दृष्टि से जल-संरक्षण पर चर्चा कीजिए।
CBSE 2017 class 10
उत्तर-
Answers
Explanation:
जल लक्षण से हम यह समझते हैं कि हमें जल संरक्षण करना चाहे में जल को बचाना चाहिए क्योंकि जल हमारे मददगार होते हैं उसे हम पीते हैं काम करते हैं बर्तन धोते हैं जैसे कि इत्यादि l
हमें जल संरक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि या हमारे हमारे वर्तमान में काम मददगार होगा और हम इसे इस कुछ इस प्रकार से संरक्षित कर सकते हैं जैसे कि तालाब बनवाना बनवाना l mark my answer as a brainlist
Explanation:
यह जांच करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो ।
2. आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।
3. पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।
4. मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें ।
5. नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें ।
6. ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे अधिक जल की खपत न हो ।
7. खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को धोते समय नलो का खुला न छोड़े ।
8. जल को कदापि नाली में न बहाएं बल्कि इसे अन्य उपयोगों जैसे -पौधों अथवा बगीचे को सींचने अथवा सफाई इत्यादि में लाए ।
9. सब्जियों तथा फलों को धोने में उपयोग किए गए जल को फूलों तथा सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता है ।
10. पानी की बोतल में अंततः बचे हुए जल को फेंके नही अपतु इसका पौधों को सींचने में उपयोग करें ।
11. पानी के हौज को खुला न छोड़ें ।
12. तालाबों, नदियों अथवा समुद्र में कूड़ा न फेंके ।
किसानों द्वारा जल का संरक्षण
कृषि प्रथा जैसे ऑफ सीजन जुताई (पहले मानसून की बारिश के पूर्व) मिट्टी की नमी का संरक्षण। यदि भूमि 30 सेमी की गहराई तक जोता जाता है 90 सेमी की गहराई तक नमी हासिल की जा सकती है। अन्य प्रथायें जैसे बीजों की जल्दी बुवाई, उर्वरकों का कम उपयोग, खर पतवार-निकाई, कीट और रोग नियंत्रण और समय पर कटाई मिट्टी में सीमित नमी की बावजूद उपज में वृद्धि करता है।
मिट्टी में जैविक अवशेषों को मिलाने से मिट्टी की नमी का संरक्षण होगा।
पहाड़ी ढलानों की खेती पानी की बहाव को रोकता है।
छः प्रतिशत तक ढालू भूमि पर जहॉं भूमि की जल-शोषण क्षमता अधिक हो तथा 600 मिमी प्रतिवर्ष से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में समोच्च-बन्ध बनाकर खेती की जानी चाहिए ताकि एक समान ढाल की लम्बाई कम की जा सके तथा दो बन्धों के बीच की भूमि पर खेती की जा सके। इस प्रकार भूमि एवं नमी संरक्षण साथ-साथ हो जाते हैं।
600 मिमी0/वर्ष से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में बन्धों को लम्बाई के अनुरूप थोड़ा ढालू बनाया जाता है ताकि अतिरिक्त अपवाह सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके।
कंटूर जुताई और घास और पेड़ों का रोपण पानी के बहाव लो रोकता है और नमी बनाए रखने के लिए मिट्टी की क्षमता में वृद्धि करता है ।
हरी खाद (मिट्टी में ताजी हरी पत्तियों का समावेश) और फसल रोटेशन (मिट्टी और जलवायु आधारित विभिन्न फसलों की खेती जैसे फलियां के बाद अनाज लगाना) मिट्टी की नमी को संरक्षित करता है I
बाजरा, दाल, मूंगफली, आदि जैसे निकट दूरी फसलों के लिए फव्वारा सिंचाई के उपयोग से सतह के पानी का 30 से 40% तक संरक्षण होता है ।
ड्रिप सिंचाई सब्जियों, कपास, गन्ना जैसे निकट दूरी पंक्ति फसलों के लिए सबसे उपयुक्त है। इस प्रणाली की दक्षता 25 से 30% के आसपास मिट्टी की नमी के संरक्षण करने में है। ड्रिप सिंचाई का सबसे सस्ता और आसान बनाने के लिए एक मिट्टी के बर्तन में एक से तीन छेद करके इसे पौधे के बगल में मिट्टी में आंशिक रूप से दबा देना है। घड़े में भरी पानी धीरे-धीरे मिट्टी की नमी लगातार सुनिश्चित करता है और पौधे को पानी की निरंतर आपूर्ति हो जाती है।
वर्षा जल संचयन और छोटे तालाबों में भंडारण गर्मियों के दौरान पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।