7. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, दूंकन दे झख मारि।
Hindi class 9th
क्षितिज भाग 1
पाठ 9 साखियाँ एवं सबद
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काव्य सौंदर्य :-
इस काव्यांश में कवि अर्थात संत कबीर का कहना है कि यदि हम , ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं , तो हमें अपने अहंकार का त्याग करना चाहिए । क्योंकि यह संसार तो अज्ञानी है । वह कुत्ते की भांति भोक्ता रहता है इसलिए हमें इसकी परवाह बिल्कुल नहीं करनी चाहिए । इस प्रकार इस दोहे में कवि ने ज्ञान के महत्व को प्रतिपादित किया है । इसमें ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करना सम्मान की बात बताई है यहां सहज शब्द का प्रयोग भी ' ध्यान या समाधि ' से लिया है । कवि का कहना है कि जो ज्ञान की आलोचना करते हैं वह कुत्तों की भांति है जो बेवजह भोंकते रहने का काम करते हैं । कवि ने दृष्टांत देकर अपने कथन को काव्य - सौंदर्य प्रदान किया है कहावत भी है कि " कुत्ते भोंकते हैं हाथी चलते रहते हैं " ।
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