7 मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है? लिखिए।
18 संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ सोना और जागना किसके प्रतीक है?
Answers
Answer:
sorry dear I don't understand that language
Solution:-
1) अहंकारी व्यक्ति अपनी कड़वी बातों से खुद तो परेशान होता ही है, दूसरों को भी कष्ट पहुँचाता है, वही मीठी वाणी बोलने वाला व्यक्ति स्वयं भी शांत रहता है और अपनी विनम्र बोली से दूसरों के मन को भी ख़ुशी देता है | मीठी वाणी से सुनने वाले तथा बोलने वाले दोनों को ही सुख मिलता है इसलिए सदा मीठी वाणी बोलनी चाहिए |
2) संसार के विषय - विकारों में लिप्त मनुष्य ईश्वर को भूल, खाने और सोने में मस्त है, उसके लिए सांसारिक भोग विलास ही सत्य है | वह इसी को सुख मानकर खुश है जबकि कबीर को संसार की असारता का ज्ञान है, जिसकी वजह से वह संसार की दुर्दशा देखकर दुःखी होते हैं और रोते रहते है |
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Extra:-
1) विरह का सर्प वियोगी की क्या दशा कर देता है?
> विरह एक ऐसे सर्प के सामान है जो अगर किसी को जकड ले,तो उसे कोई मात्रा भी मुक्ति नहीं दिला सकता | ईश्वर की विरह में भक्त भी या तो प्राण त्याग देता है या विक्षिप्त (पागल) हो जाता है|
2) कबीर की भाषा पर प्रकाश डालिए |
> कबीर की भाषा को 'सधुक्कड़ी भाषा ' अर्थात साधुओं की भाषा कहा जाता है | घुमक्कड़ प्रवृत्ति के कारण साधुओं की भाषा में विभिन्न भाषाओँ के शब्दों का समावेश स्वतः ही हो जाता था | इसे 'खिचड़ी या पंचमेल खिचड़ी' नाम भी दिया जाता है | कबीर की भाषा में भी पंजाबी, ब्रजभाषा, पूर्वी हिंदी, खड़ी बोली, भोजपुरी, राजस्थानी आदि भाषाओं के शब्द मिलते हैं | इसमें जहाँ संस्कृत के तत्सम शब्द मिलते हैं, वहीं अरबी-फारसी, उर्दू के शब्द भी मिल जाते हैं | यही विशिष्टता कबीर की भाषा को सरल, स्वाभाविक, बोधगम्य और लोकप्रिय बनाती है |