7. ऑपरेशन ईराकी फ्रिडमे के पीछे अमेरिका का असली मकसद क्या था ?
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ऑपरेशन ‘ईराकी फ्रीडम’ के पीछे अमेरिका का असली मकसद ईराक के तेल क्षेत्रों को अपने कब्जे में लेना और ईराक में अमेरिका के हितों के अनुकूल सरकार की स्थापना करना था।
- 1911 के सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत रूस कमजोर पड़ गया और ऐसी स्थिति में अमेरिका इकलौती महाशक्ति रह गया था। धीरे-धीरे अमेरिका ने विश्व में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया। इसी ईराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन से अमेरिका का विवाद होना शुरू हो गया। जिसकी शुरूआत तब से हुई जब ईराक ने अपने पड़ोसी देश कुवैत पर अवैध कब्जा कर लिया। तब अमेरिका के नेतृत्व में 34 राष्ट्रों के गठबंधन ईराक पर आक्रमण किया था, जो ‘खाड़ी-युद्ध’ के नाम से मशहूर हुआ। जिसका उद्देश्य इराक द्वारा कब्जा किए गए कुवैत से इराकी सेना को बाहर करना था।
- इस युद्ध के बाद अमेरिका की नजर ईराक के तेल क्षेत्रों पर पड़ने लगी और उसका सद्दाम हुसैन से विवाद बढ़ता गया। अमेरिका ईराक के शासक सद्दाम हुसैन पर जनसंहार के अवैध हथियार जमा करने का आरोप लगाता रहा और इन्हीं हथियारों को नष्ट करने के बहाने उसने ईराक पर आक्रमण करने का निश्चय किया।
- अमेरिका ने ईराक पर आक्रमण करने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ से अनुमति तक नही ली और अपने सहयोगी देशों के साथ गठबंधन बना लिया और अमेरिका के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, पोलैंड जैसे लगभग 40 देशों की संयुक्त सेनाओं ने 20 मार्च 2003 को ईराक पर आक्रमण कर दिया 1 मई तक चले इस युद्ध में संयुक्त गठबंधन सेनाओं ने इराक की सेना को हराकर बगदाद पर अपना कब्जा कर लिया। बाद में ईराक के शासक सद्दाम हुसैन को पकड़कर अमेरिका ने फांसी दे दी।
अमेरिका का ईराक में जनसंहार के हथियारों को नष्ट करने का तो एक बहाना था, वास्तव में उसका असली मकसद इराक के तेल क्षेत्रों पर कब्जा करना था ताकि वह अपने हितों को आगे बढ़ा सके और तेल का दोहन कर सके।
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