7. पिंजरे में बंद पक्षी खुश क्यों नहीं हैं? (हम पंछी
उन्मुक्त गगन के)
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पिंजरे में बंद पक्षी खुश इसलिए नहीं है क्योंकि वे पिंजरे के अंदर कैद नहीं रहना चाहते हैं वे स्वतंत्र होकर कड़वी निबोरी खाना चाहते है और नदी का पानी पीना चाहते है।
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"हम पंछी उन्मुक्त गगन के" नामक कविता "शिव मंगल सिंह सुमन" द्वारा लिखी गई है। पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं है - इस पंक्ति के द्वारा कवि ने पक्षियों की आजादी के बारे में बताया है। पक्षियों को खुले आसमान में उड़ना पसन्द होता है, अगर हम पक्षियों को पिंजरे में बंद कर देंगे तो उनके कोमल पंख टूट जायेंगे।
इसमें पक्षी कहता है कि पिंजरे में बंद मीठा पानी पीना और सोने की कटोरी में खाना अच्छा नहीं लगता बल्कि उन्हें खुले आसमान में कड़वी निबौरी खाना और नदी के किनारे खुली हवा में पानी पीना पसंद है।
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