7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की
पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
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एक बार एक नेता किसी सभा में गए नेताजी का कुर्ता बेदाग था, कुर्ते पर कुछ कुछ काले धब्बे थे नेता जी समझ गए कि हमारा कुर्ता लोगों को दिखाई पड़ रहा है इसलिए उन्होंने शॉल अपने कुर्ते पर डाली पर यह क्या शॉल पर तो दंगे उकसाने वह खून खराबा करने क के खून के दाग लगे थे ,अब शॉल को खींचते तो इधर वोट मांगने के लिए पैसे खिलाने का दाग लगा था, नेताजी आप समझ जाइए हमें ऐसे नेता की जरूरत नहीं है हमें खादी वस्त्र देखकर गांधीजी याद आते हैं देशद्रोही नहीं।
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हमारे एक पड़ोसी है। जो बहुत ही कंजूस है। यहाँ तक के बच्चों के खाने-पीने की चीजों में भी कटौती करते हैं। परंतु दुनिया में अपनी झूठी शान दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी नामचीन कम्पनियों के कपड़े ही पहनते। उनका यह दोघलापन मेरी समझ से परे है।
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