(7) पर सब दिन होत न एक समान' अकस्मात् दिन फिरे और सेठ को ग़रीबी का मुंह देखना
पड़ा।
पाठ- महायज्ञ का पुरस्कार ।
लेखक- यशपाल ।
क्या सेठजी ने उस प्रथा से लाभ उठाने का सोचा? [2]
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............. answer photo mai hai
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सेठ सेठानी ने निर्णय लिया क्या कि यज्ञ फल को बेचकर कुछ धन प्राप्त किया जाए ताकि उनकी गरीबी कुछ दूर हो जाए
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