7 सब अपने हैं
-गौहर रजा
खेल-खेल में चाँद की धइया छूकर आना
पढ़ना-लिखना बोझ नहीं है,
मिट्टी से अंकुर का उगना, अंकुर से जंगल बन जाना - मिट्टी से उपजा एक पौधा ही एक-एक करा
भाप की ताकत या बिजली पर काबू पाना- भाप या बिजली की शक्ति पर मानवीय नियंत्रण स्थापित
एटम का टुकड़ों में बँटना
इनका आपस में रिश्ता है
हमने ये पहचान लिया।
पढ़ना-लिखना बोझ नहीं है,
हमने ये पहचान लिया।
धरती, अंबर, नदिया, झरने,
हमने ये पहचान लिया।
सब अपने हैं जान लिया।
धरती, अंबर, नदिया, झरने,
सब अपने हैं जान लिया।
ओस की बूंदें, सुबह की लाली
फूलों का हौले-से खिलना
इंद्रधनुष के रंग बिखरना
सागर में लहरों का उठना
दरियाओं का बहते जाना
मिट्टी से अंकुर का उगना
शब्दार्थ
अंकुर से जंगल बन जाना
अंबर
आकाश
इनका आपस में रिश्ता है
हमने यह पहचान लिया।
निर्माण करता है, अत: ये प्रत्येक दृष्टि से एक-दूसरे से संबंधित हैं।
चाक
एक पहिया (उपकरण) जिससे कुम्हार मिट्टी के
पढ़ना-लिखना बोझ नहीं है,
बरतन बनाते हैं
हमने ये पहचान लिया।
धरती, अंबर, नदिया, झरने,
सदुपयोग करना।
सब अपने हैं जान लिया।
O
पहले-पहले इनसानों का आग जलाना
। ज्ञान संपदा
खेती करना, पेड़ लगाना
पहिये का आकार बनाना
द्व
चाक चलाना, बरतन गढ़ना
भाप की ताकत या बिजली पर काबू पान
रचनाकार परिचय
मानवीय संवेदना के प्रखर उन्नायक श्री गौहर रजा का जन्म सन् 1956 में हुआ था। रजा साहब
सामाजिक कार्यकर्ता व वृत्तचित्र निर्माता के रूप में जाने जाते हैं। ये भारत में साक्षरता मिश
हौले से
धीर-से
गढ़ना
रुचि लेकर
घड्या
जमीन
'मिट्टी से अंकुर', 'अंकुर से जंगल' (इसके बाद फिर वही मिट्टी की स्थिति) जैसी पक्तियों में कवि ने साहि-
पक्ष वाद-प्रतिवाद-संवाद की अभिव्यक्ति की है। इसे वाद (Thesis) प्रतिवाद (Anithesis) संवाद (D:
मक स्थिति कहा जाता है
इस कविता के माध्यम से कवि हमें क्या समझाना चाहता
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