7.सर्वे प्रसन्न मनसा स्वागतं कुर्वन्ति। (विशेषण पदं चिह्नितं कुरुत) सर्ने
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15 अगस्त 1947 भारत के लिए बहुत भाग्यशाली दिन था। इस दिन अंग्रजों की लगभग 200 वर्ष गुलामी के बाद हमारे देश को आज़ादी प्राप्त हुई थी। भारत को आज़ादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन संघर्ष के बाद भारत अंग्रजों की हुकूमत से आज़ाद हुआ था। तब से ले कर आज तक 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मानते हैं।
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स्वंत्रता दिवस को भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इसके एक दिन पहले भारत के राष्ट्रपति देश के समक्ष संबोधित करते हैं। जिसे रेडियो के साथ कई टीवी चैनेल्स में भी दिखया जाता है। स्वतंत्रता दिवस को हर वर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल किला पर तिरंगा फहराते हैं। तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्र गान गाया जाता है और 21 बार गोलियां चला कर सलामी भी दी जाती है। इसके साथ ही भारतीय सशस्त्र बल, अर्धसैनिक बल और एनसीसी कैडेड परेड करते हैं। इस दिन लाल किला से टीवी के डी डी नेशनल चैनल और आल इंडिया रेडियो के माध्यम से सीधा प्रसारण किया जाता है। आतंकवाद के खतरे को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किये जाते हैं।
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केवल देश की राजधानी के साथ देश के अन्य सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी सम्मान के साथ अपने राज्य में तिरंगा फहराते हैं। 15 अगस्त को हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रधांजलि दी जाती और उनका सम्मान किया जाता है। इस दिन देशभक्ति के गीत और नारे लगाये जाते हैं। वहीं कुछ लोग पतंग उड़ा कर आजादी का पर्व मनाते है।
निबंध 2
भारत में हर वर्ष 15 अगस्त को स्वत्रंता दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता इसलिए हर भारतीय के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है। 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रजों की परतंत्रता के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। स्वतंत्रता दिवस को हम राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मानते हैं।
कई वर्षों के विद्रोहों के बाद ही हमने स्वतंत्रता प्राप्त की और 14 व 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। दिल्ली के लाल किले में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार भारत के झंडे को फहराया था। उन्होंने मध्यरात्रि के स्ट्रोक पर “ट्रास्ट विस्ट डेस्टिनी” भाषण दिया। पूरे राष्ट्र ने उन्हें अत्यंत खुशी और संतुष्टि के साथ सुना। तब से हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर, प्रधानमंत्री पुरानी दिल्ली में लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ ही तिरंगे को 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है।
15 अगस्त को ही आज़ादी का दिन क्यों चुना गया इसके पीछे भी एक अपनी कहानी है। 1947 में भारत में लार्ड माउंटबेटन को गवर्नर के पद पर नियुक्त किया गया था। 15 अगस्त उनका सौभाग्यशाली दिन था क्योकि इससे पहले 15 अगस्त को ही द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने ब्रिटेन के समक्ष समर्पण किया था। अतः इसलिए लार्ड माउंटबेटन ने पहले से ही 15 अगस्त को भारत की आज़ादी का दिन निर्धारित कर रखा था।
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इस दिन सभी सरकारी दफ्तर, कार्यालयों में तिरंगा फहराया जाता है और राष्ट्रगान “जन-गण-मन” गया जाता है। स्कूल, कालेजो में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं। मंगल पांडे, सुभाषचंद्र चंद्र बोस, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, अशफाक उल्ला खां, चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु आदि कई स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को याद किया जाता है।
कुछ भारतीय पतंग उड़ा कर तो कुछ कबूतर उड़ा कर आज़ादी मानते हैं। प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाना भारत के स्वतंत्रता के इतिहास को जिंदा रखता है और आजादी का सही मतलब लोगों को समझाता है।