7. तारों के दीपक न बुझने का आशय था-
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तारों के दीपक न बुझने के आशय था कि तारे रूपी जो दीपक आकाश में जलते हैं, उनका कोई महत्व नही है।
तारों के दीपक ना बुझने से तात्पर्य कवियत्री का तात्पर्य यह है कि आज लोग सांसारिक ऐश्वर्य और वैभव से भरे जीवन जीने के बावजूद अशांत हैं, क्योंकि उनके अंदर ईर्ष्या और घृणा की आग निरंतर जलती रहती है। वह दूसरे के सुख-चैन को देख कर जलते रहते हैं। आकाश के तारे भी उसी तरह के दीपक हैं, जो आस्था रूपी दीपक को जलते रहते देखकर अपनी ईर्ष्या की अग्नि में जलते रहते हैं। तारों रूपी दीपक के जलने से किसी का भला नहीं होता क्योंकि तारों के पास अपनी रोशनी तो है, लेकिन वह किसी काम की नहीं। जब भी ह्रदय में जो ज्ञान और प्रेम का दीपक जलता है, वह मानव के जीवन को परिवर्तित कर देता है।
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