Hindi, asked by tanishkasingh90s, 2 months ago

7. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए.
(अ) पश्चाताप
(ब) गंगा दास का न्याय
(स) भूल
(द) चोर​

Answers

Answered by shishir303
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प्रश्न में कोई गद्यांश नही दिया गया है, इस कारण गद्यांश अभाव में शीर्षक देना मुश्किल है।

विद्यार्थियों के अभ्यास के लिये एक दूसरा गद्यांश देकर उस पर आधारित प्रश्नोत्तर इस प्रकार हैं...

धन का व्यय विलास में करने से केवल क्षणिक आनंद की प्राप्ति होती है, जबकि यह धन का दुरुपयोग है, किंतु धन का सदुपयोग सुख और शांति देता है। धन के द्वारा जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कार्य हो सकता है वह है परोपकार। भूखों को अन्न, नंगों को वस्त्र, रोगियों को दवा, अनाथों को घर-द्वार, लूले-लँगड़ों और अपाहिज़ों के लिए आराम के साधन, विद्यार्थियों के लिए पाठशालाएँ इत्यादि वस्तुएँ धन के द्वारा जुटाई जा सकती हैं।

धन होने के कारण एक अमीर आदमी को लोगों की भलाई करने के अनेक अवसर प्राप्त होते हैं, जो कि एक गरीब आदमी को उपलब्ध नहीं हैं, चाहे वह इसके लिए कितना ही इच्छुक क्यों न हो। पर संसार में ऐसे आदमी बहुत कम हैं जो अपना भोग-विलास त्यागकर अपने को परोपकार में लगाते हैं।  

¿ उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिये।

➲ उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा...

धन का सदुपयोग।

¿ दूसरों की भलाई करने के लिए सबसे आवश्यक बात क्या होती है ?

➲ दूसरों की बुराई करने के लिए मनुष्य के पास पर्याप्त धन होना आवश्यक बात है।

¿ धन का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है और धन का दुरुपयोग क्या है ?

➲ परोपकार के कार्य करना धन का सदुपयोग है, जिससे दूसरों का भला हो सके। व्यर्थ के भोग-विलास में जीवन व्यतीत करना धन का दुरुपयोग है।

¿ परोपकार और धन का आपस में क्या संबंध है ?

परोपकार और धन का आपस में बेहद गहरा संबंध है। परोपकार के कार्य करने के लिए धन का होना अति आवश्यक है। निर्धनों को खाना खिलाना, उनको वस्त्र आदि दान करना तथा अन्य कई सेवा कार्य धन के बिना नहीं किए जा सकते।

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