Hindi, asked by ujjwalkumardubey0, 11 months ago

7001-364
SUNDA
= 001-364 जीवन में शांति SUNDA
what is Giwan. ​

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Answered by vel24
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Answer:

योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः (योगसूत्र, अध्याय-1, श्लोक-2) अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

ज्यादातर लोग भागदौड़ से भरा जीवन जीते हैं मगर उनमें से कुछ के चेहरे पर शांति झलकती है तो कुछ पर नहीं। कुछ के चेहरों पर तो हमेशा ही अशांति तैरती रहती है। आखिर ऐसा क्यूं?

जब हम मानसिक या शारीरिक रूप से थक जाते हैं तो शरीर और मन निढाल हो जाता है। कई दफे शरीर थका होता है, लेकिन मन नहीं, ठीक इसके विपरीत भी होता है। ऐसे में चेहरे पर शांति कहां से झलकेग?

क्या वह अशांत था? रोग या शोक में भी प्रकृति हमें शांत कर देती है। फिर प्रकृति मुकम्मल तौर पर भी 'शांत' कर देती है। जब कोई मर जाता है तो हम कहते हैं कि वह 'शांत' हो गया। आखिर ऐसा क्यूं? इसका मतलब कि वह अशांत था? अरे भई शांत लोग भी तो मरते हैं।

क्या होती है अशांति : बेचैनी या अशांति का कारण व्यक्ति का 'मन' होता है। मन का कारण विचार है, विचार का कारण जो हम देख-सुन रहे हैं वह है, अर्थात अशांति बाहर से भीतर मन में प्रवेश करती है। मन की व्यापकता को 'चित्त' कहते हैं।

चित्त की गति : पागल के चित्त की गति तेज होती है। जो लोग ज्यादा बेचैन हैं उनके चित्त की गति भी तेज होती है, उनमें वाचलता और चालाकी के अलावा कुछ नहीं होता। इन चित्त वृत्तियों के निरोध को ही योग कहते हैं। नशा आदि करने के बाद भी चित्त की ‍गति तेज हो जाती है। किसी भी प्रकार की चिंता से भी गति बढ़ जाती है। गति का बढ़ना शारीरिक और मानसिक क्षरण का कारण बनता है।

क्या है चित्त : पांचों इंद्रियों से जो भी ग्रहण किया गया है, उसका मन और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। उस प्रभाव से ही 'चित्त' निर्मित होता है जो निरंतर परिवर्तित होने वाला होता है। जैसे कि एक स्थान पर कई कोण से प्रकाश डाला जाए और तब उस स्थान पर जो चीज पैदा होगी, उसे हम 'चित्त' मान लें।

कैसे हों शांत : जब हम चुप होते हैं तो उसे हम अपनी उदासी न समझें। चुप्पी स्वत: ही घटित होती है, उसका आनंद लें। आंखें मूंदकर गहरी सांस लें। सुबह और शाम पांच मिनट का ध्यान करें। हर तरह की बहस व्यर्थ होती है यह जान लें। क्रोध करने की आदत बन जाती है, इसे समझें। इसी तरह अशांत और बेचैन रहने की भी आदत होती है।

शारीरिक शांति : स्वयं के शरीर का सम्मान करें। उस पर मन की बुरी आदतें न थोपें। उसकी सेहत का ध्यान रखें। पवित्रता बनाए रखने से शरीर शांत रहता है। यम, नियम, आसन और प्राणायाम के हलके से प्रयास से ही शरीर को शांति मिलती है।

मन की शांति : मन को शांत रखने के लिए प्राणायम और ध्यान का अभ्यास करें। मानसिक द्वंद्व मन को अशांत करते हैं। मन की अशांति के कारण शरीर की सेहत खराब होना भी है। अंतत: अंग संचालन, शवासन, भ्रामरी प्राणायाम और विपश्यना

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